राजीव गांधी की पुण्यतिथि: देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री की कहानी, जहां सपनों की उड़ान को सियासत ने रोक दिया
21 मई 1991... एक ऐसा दिन जब भारत ने अपने सबसे युवा प्रधानमंत्री को खो दिया। सिर्फ 46 वर्ष की उम्र में आत्मघाती हमले का शिकार बने राजीव गांधी एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनकी पहचान एक पायलट के रूप में शुरू हुई और नियति ने उन्हें देश की बागडोर सौंप दी।
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को बंबई में हुआ। वे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाती, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के पुत्र थे। परिवार की राजनीतिक विरासत के बावजूद राजीव राजनीति से दूर रहना चाहते थे और 1966 में इंडियन एयरलाइंस में पायलट के रूप में काम शुरू किया।
राजीव गांधी की शिक्षा देहरादून के वेल्हेम्स और दून स्कूल में हुई। फिर उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड गए, जहां उनकी मुलाकात इतालवी छात्रा एडविज एंटोनिया अल्बिना माइनो से हुई, जो बाद में सोनिया गांधी बनीं।
राजनीति में उनकी शुरुआत 1980 में हुई, जब छोटे भाई संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद उन्हें मां इंदिरा गांधी ने अमेठी से उपचुनाव लड़ने के लिए राजी किया।
31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने। उसी वर्ष कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत के साथ 401 सीटें जीतकर इतिहास रचा। राजीव गांधी ने देश में कंप्यूटर, टेलीकॉम, शिक्षा और पंचायत स्तर पर क्रांति की शुरुआत की। युवाओं के लिए मतदान की उम्र घटाकर 18 वर्ष करना और नवोदय विद्यालयों की स्थापना उनके बड़े फैसलों में शामिल हैं।
लेकिन उनका कार्यकाल विवादों से भी अछूता नहीं रहा। शाह बानो केस, बोफोर्स तोप सौदा और श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ भारतीय शांति सेना भेजना उन्हें घेरने वाले प्रमुख मुद्दे बने। बोफोर्स विवाद ने उनकी लोकप्रियता को गहरा धक्का दिया और 1989 में सत्ता हाथ से निकल गई।
21 मई 1991 को चुनाव प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में लिट्टे की आत्मघाती हमलावर धनु ने उनके करीब पहुंचकर विस्फोट कर दिया, जिसमें राजीव गांधी समेत 14 लोगों की जान चली गई।
राजीव गांधी की जीवन यात्रा हमें यह दिखाती है कि एक आम नागरिक से देश का सर्वोच्च नेता बनने की राह कितनी अप्रत्याशित और जोखिम भरी हो सकती है।
आज उनकी पुण्यतिथि पर देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है – एक नेता, जो तकनीक, युवा और ग्रामीण भारत को आगे ले जाना चाहता था, लेकिन जिसकी यात्रा अधूरी रह गई।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें