पीजीआई में हुई उत्तर भारत की पहली सर्जरी
ब्रेन डेड से लिगामेंट लेकर किया गया रोपित
टिशु बैंक से लिया गया ब्रेन डेड व्यक्ति का लिगामेंट
संजय गांधी पीजीआई के एपेक्स ट्रामा सेंटर में पहली बार ब्रेन डेड डोनर से लिए गए लिगामेंट (एलोग्राफ्ट) को प्रत्यारोपण कर मल्टी लिगामेंट इंजरी का इलाज किया गया। यह उत्तर भारत की पहली सर्जरी है जिसमें ब्रेन डेड व्यक्ति का लिगामेंट लिया गया । मुंबई स्थित
नोवो टिशु बैंक एंड रिसर्च सेन्टर से ब्रेन डेड व्यक्ति का लिगामेंट मंगाया गया। टिशू बैंक में लिगामेंट प्रिजर्व करके रखा जाता है जो एक से डेढ़ साल तक उपयोग में लाया जा सकता है। इस जटिल सर्जरी को अपेक्स ट्रामा सेंटर के प्रोफेसर पलक शर्मा ने सफलतापूर्वक किया।
प्रो शर्मा ने बताया कि डोनर से ली गई लिगामेंट ( एलोग्राफ्ट) का उपयोग करने से मरीज की खुद की लिगामेंट निकालने की जरूरत नहीं पड़ती। ऑपरेशन का समय कम हो जाता है और दर्द भी कम होता है। घुटने की मल्टी लिगामेंट की चोट जटिल होती हैं। बताया कि मोहनलालगंज के निवासी आशीष कुमार को गंभीर एक्सीडेंट के बाद भर्ती किया गया था। उसके पैर की हड्डियां (फीमर और टिबिया) टूट गई थी और घुटने की हड्डी बाहर आ गई थी।
पहले फीमर और टिबिया की सर्जरी की गई थी। चोट के कारण, घुटने को स्थिर रखने वाले सभी प्रमुख लिगामेंट फट गए थे। जटिल आर्थ्रोस्कोपिक लिगामेंट सर्जरी करके सारे लिगमेंट को बनाया गया । आमतौर पर, फटे हुए लिगामेंट को बनाने के लिए लिगामेंट को मरीज के शरीर से निकाला जाता है। हालांकि, इस मामले घुटने के चार लिगमेंट डैमेज हो गए थे , इसलिए चार लिगमेंट को शरीर से निकलने के बजाय ब्रेन डेड डोनर से लिया गया। सर्जरी सफल रही और मरीज अब तेजी से ठीक हो रहा है।
यह रही टीम
निदेशक टिशू बैंक मुंबई केडॉ. प्रसाद भगुंदे, डॉ. लियाकत,डॉ. अभिषेक,नर्सिंग अधिकारी सचिन,नर्सिंग ऑफिसर लता सचान
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