भाप लेने और लंबे समय तक मास्क लगाने से नहीं होता है फंगस
संक्रामक नहीं है म्यूकर माइकोसिस
- रात में कूलर चला कर सोया था सुबह आंख में सूजन आ गयी
- गले में खरास थी भाप लिया रात में सुबह नाक में जाम हो गया
ऐसे तमाम सवालों के कई फोन संजय गांधी पीजीआइ के ई -ओपीडी में आ रहे है। डाक्टर भी इनसे फोटो मंगा कर देखते है तो कुछ और जनाकारी लेते है तो पता चलता है कि इन्हें म्यूकर माइकोसिस की कोई परेशानी नहीं है। संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरो-ओटोलाजिस्ट प्रो. अमित केशरी कहते है कि म्यूकर माइकोसिस ( ब्लैक फंगस) को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां है तमाम लोग कह रहे है कि भाप लेने , लंबे समय तक मास्क लगाने से भी फंगल की आशंका है। इस तथ्य को पूरी तरह गलत है।
सोशल मीडिया पर ब्लैक फंगल, व्हाइट फंगस, यलो फंगल को लेकर कई तरह की भ्रामक जानकारियां चल रही है। जितना खतरनाक बताया जा रहा है ऐसा नहीं है। सतर्कता बरतने से इन फंगस से लड़ा जा सकता है। म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में ज्यादा देखा जा रहा है। ब्लैक फंगस कूलर की हवा में नहीं फैलता। यह हवा में, पौधों में, बाथरूम में और हमारे आसपास ही हो सकता है लेकिन यह उससे एक दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलता है। यह बहुत लोगों के शरीर के ऊपर भी हो सकता है, लेकिन संक्रमण उसी व्यक्ति को करता है जिसकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। लोगों को मास्क को बदलते रहना जरूरी है, लेकिन एक ही मास्क लंबे समय तक लगाने से लोगों को म्यूकोर माइकोसिस हो रहा है, यह गलत है।
भाप लेने से नहीं होता है फंगस
भाप लेने से म्यूकोर माइकोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है, ऐसा नहीं है। सोशल मीडिया पर वायरल एक डॉक्टर के इस वीडियो के दावे के सवाल के जवाब में उन्होंने यह बात कही। इस वीडियो में कहा गया था कि लोग ज्यादा भाप ले रहे हैं इससे नाक के जरिए म्यूकोर शरीर में प्रवेश कर रहा है।
कोरोना काल से पहले भी 50 फीसदी थी मृत्यु दर
म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) से पीड़ित मरीजों में इस बार मृत्यु दर बढ़ सकती है। कोरोना काल से पहले म्यूकोर माइकोसिस से पीड़ित मरीजों में 50 फीसदी तक मृत्यु दर देखी जाती थी लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से यह बढ़ सकती है।
शुगर के मरीज ध्यान रखें
इसका संक्रमण उन्हीं लोगों को होता है जो या तो शुगर के मरीज है और उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है। उन्होंने कहा कि ब्लड में शुगर की मात्रा अधिक हो और प्रतिरोधक क्षमता कम हो तो इस फंगस को आपके शरीर में भोजन मिल जाता है। यह हमारे आसपास ही मौजूद रहता है।
बीटाडीन नाक में मत डाले
मुंह से बीटाडीन के गार्गल करने की बजाय नाक में इसका इस्तेमाल न करें। यह जानलेवा हो सकता है। कोरोना के मरीजों को बीटाडीन गार्गल करने के लिए कहते हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि नाक में इसका इस्तेमाल किया जाए।
-यह जरूर ध्यान रखें-
- शुगर का स्तर नियंत्रित रखें
- स्टेरॉइड का सेवन अच्छे डॉक्टर की सलाह पर ही करें
-प्रारंभिक लक्षण होने पर डॉक्टर को दिखाएं
नाक के जरिए फैलता है संक्रमण
- यह फंगस नाक के जरिये शरीर में प्रवेश करता है। वहां यह रक्तवाहिनी को बंद करता है।
- इससे उस क्षेत्र की रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है और नाक में भारीपन लगता है।
- यह नाक के पास ही साइनस में चला जाता है। साइनस वह खोखला हिस्सा होता है जो गाल के पास होता है।
- साइनस एयर नाक के पास ही आंख होती है। वहां से ये आंख में चल जाता है
- चेहरे के किसी हिस्से में संवेदना ( सेंसेशन) कम जो जाना प्रारंभिक लक्षण है