रविवार, 21 जुलाई 2019

पीजीआइ में मायोकॉर्डियल परफ्यूजन जांच से मिल सकेंगे हार्ट अटैक के संकेत




दिल देगा दगा, पहले से चल जाएगा पता

पीजीआइ में मायोकॉर्डियल परफ्यूजन जांच से मिल सकेंगे हार्ट अटैक के संकेत

कुमार संजय ’ लखनऊ
जिंदगी की भागमभाग और तनाव के बीच हमारे दिल पर जोर लगातार बढ़ रहा है। यही कारण है, इसके दगा देने के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। हार्ट अटैक होने पर कुछ मामलों में जान बचाने तक का मौका नहीं मिलता। कुछ में जिंदगी बच भी जाती है मगर, दिल के दौरे की आशंका उम्र भर बनी रहती है।
लखनऊ स्थित एसजीपीजीआइ में गंभीर होते इसी मर्ज का रास्ता खोजा गया है। कुछ इस तरह ताकि दिल के दगा देने से पहले उसकी हरकत का पता चल जाए। समय पर इलाज के जरिये मरीज की जान सुरक्षित की जा सके।
दिल की सलामती का ऐसे निकाला रास्ता : दरअसल, बस्ती निवासी 40 वर्षीय विपिन शुक्ला को लंबे समय से घबराहट की परेशानी थी। जबकि सात से आठ किमी चलने पर कोई दिक्कत नहीं होती थी। सीढ़ी भी चढ़ते थे। घबराहट की जांच के लिए वह संजय गांधी पीजीआइ के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर सुदीप के पास आए। ईसीजी सहित कुछ जांच हुईं मगर, वजह पता नहीं चली। इस पर प्रो. सुदीप ने मायोकार्डियल परफ्यूजन इमेजिंग (एमपीआइ) जांच कराई। उसमें दिल की परेशानी के कुछ संकेत मिले।
एंजियोग्राफी की तो दिल की एक रक्त वाहिका में रुकावट मिली, जिसे स्टेंट लगाकर दूर कर दिया। अब उन्हें हार्टअटैक की संभावना खत्म हो गई है। प्रो. सुदीप की मानें तो हार्ट अटैक के बाद इलाज सामान्य प्रक्रिया है, मगर आशंका का पहले पता लगाकर दिल दुरुस्त करने से भविष्य की चिंता खत्म हो जाती है।
एमपीआइ और पेट स्कैन खोलता दिल के राज
न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर एस. गंभीर के मुताबिक, मायोकॉर्डियल परफ्यूजन जांच में हम मीबी नाम की आइसोटोपिक दवा इजेंक्ट करते है। ऐसा करने के कुछ देर बाद गामा कैमरे में दिल की मांसपेशियों की हलचल देखते हैं। फिर मरीज का स्ट्रेस (दौड़ाकर) देखते हैं कि कहीं मेहनत के दौरान रक्त प्रवाह तो कम नहीं हो रहा। यदि रक्त प्रवाह कम है तो मान लें कहीं रुकावट है। इसके अलावा पेट (पॉजीट्रान इमेशन टोमोग्राफी) के जरिये भी पता लगाया जा सकता है कि दिल के किस हिस्से में कितना रक्त प्रवाह है। यह बेहद संवेदनशील जांच होती है।
अटैक के बाद कमजोर होती है दिल की मांसपेशी
प्रो. सुदीप के मुताबिक, हार्ट अटैक के बावजूद हमारी जान तो बच जाती है मगर, 50 फीसद रक्त की रुकावट के कारण दिल की मांसपेशी हमेशा के लिए डैमेज हो जाती है। इससे हमेशा खतरा बना रहता है। पहले आशंका का पता लगा कर इलाज करने से मांसपेशी बच जाती है। हार्ट की पंपिंग पूरी तरह ठीक रहती है। प्रोफेसर सुदीप के अनुसार कम उम्र मे लोगों में दिल की परेशानी बढ़ रही है। हार्ट अटैक आने से पहले थोड़ा जागरूक होकर इस परेशानी से बचा जा सकता है। विभाग में नस के जरिये दिल में पहुंचकर रक्त वाहिका की रुकावट दूर करने की विशेष तकनीक उपलब्ध है। हम लोगों के पास चालीस प्रतिशत केस हार्ट अटैक के बाद आते हैं।

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