बुधवार, 31 जुलाई 2019

पीजीआइ एपेक्स ट्रामा-गोल्डेल आवर में 10 फीसदी लोगों को ही मिल पाता है इलाज

पीजीआइ एपेक्स ट्रामा सेंटर का स्थापना दिवस समारोह

कैसर, हृदय घात से अधिक लोगों की जान ले रहा है रोड एक्सीडेंट
गोल्डेल आवर में 10 फीसदी लोगों को ही मिल पाता है इलाज
एटीएलएस के जरिए रोकी जा सकती है मौत 

जागरण संवाददाता। लखनऊ
दूसरे देशों के मुकाबले हमारे देश में वाहन सात- आठ गुना कम है लेकिन रोड एक्सीडेंट की  दर इन देशो से  अधिक है। ट्रामा मैनेजमेंट न होने  हर मिनट में एक व्यक्ति की मौत रोड एक्सीडेंट के कारण होती है।  रोड या किसी भी एक्सीडेंट होने पर गोल्डेन आवर यानि पहले एक घंटे में अस्पताल में इलाज केवल पांच से 10 फीसदी लोगों को मिल पाता है इस लिए एडवांस ट्रामा लाइफ सपोर्ट सिस्टम विकसित करने की जरूरत है। जिसमें सांस चलाने के लिए चेस्ट कंप्रेशन, रक्त स्राव रोकने के प्रेशर सिस्टम सहित अन्य है। यह सलाह संजय गांधी पीजीआई के एपेक्स ट्रामा सेंटर के पहले स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि एम्स दिल्ली ट्रामा सेंटर के पूर्व निदेशक एवं वर्तमना में महात्मा गांधी यूविवर्सटी आफ हेल्थ जयपुर  के कुलपति   प्रो.एमसी मिश्रा ने दी । बताया कि प्रति एक लाख में 30.5 ट्रामा के कारण मौत के शिकार होते है जो हृदय रोग और कैंसर से अधिक है। डिजीज वर्डन के दस बडे कारणों में तीसरे नंबर पर  रोड एक्सीडेंट है पहले नंबर पर हार्ट डिजीज और दूसरे नंबर डिप्रेशन है। आईजी  पुलिस दीपक रतन ने कहा कि पीजीआइ के अंदर बेड मिलते ही लगता है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा यह विश्वास पैदा करने में यहां के टैलेट और टेक्नोलाजी की भूमिका है।   ट्रामा सेंटर के प्रभारी प्रो.अमित अग्रवाल, सेंटर के सदस्य प्रो. एसके अग्रवाल ने कहा कि  सेंटर को मजबूत करने की कोशिश कर रहे है। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह ने बताया कि एक्सीडेंट के बाद लोग गुस्से में कई बार  बवाल करतें है जिसमें हम लोग मानवीय तरीके से हैंडिल करते हैं। मेडिकल सोशल आफीसर एसके श्रीवास्तव, एमएसडब्लू मदांसा द्वेदी ने बताया कि एक्सीडेंट शिकार के आते ही सबसे पहले हम लोग उन्हें इमरजेंसी में जल्दी से जल्दी एंबूलेंस से उतरा कर लाते है फिर डाक्टर के सलाह पर डायग्नोसिस के लिए प्रयास करते है कि 20 मिनट में प्राइमरी परेशानी का पता लग जाए। 


खुद को ठीक करना होगा तब थमेंगा रोड एक्सीडेंट

संस्थान के निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने कहा कि रोड एक्सीडेंट में कमी तभी आयेगी जब हम खुद ट्रैफिक नियमों का पालन करेंगे लेकिन रोड पर देखिए तो लोग  आगे निकलने की होड़ में बुरी तरह गाडी चलाते है। बाइक वाले तो कट मर कर आगे आ जाते है। खुद  में सुधार के बिना कुछ संभव नहीं है। हर जगह पुलिस तो नहीं लोगों को कंट्रोल कर सकती है। जागरूकता के कारण ही एचआईवी , हिपेटाइटिस में कमी आयी है । कहा कि एक साल में ट्रामा सेंटर ने काफी अच्छा काम किया जिसमें सबकी बराबर की भागीदारी है। हम फेज मैनर में काम कर रहे है एक साथ केवल नाम के 210 बेड नहीं शुरू करेंगे। जब हम इतना बेड  चलाने के लिए पूरी तरह संसाधन से लैस हो जाएंगे तब चलाएंगे

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