89.3 फीसदी पुरूषो के स्वीकार नहीं नसबंदी
99.1 फीसदी पुरूष मानते है कि परिवार नियोजन की लिए
महिलाएं ही जिम्मेदारी
कुमार संजय। लखनऊ
वे प्यार में अपनी जान देने तक की बात तो कर सकते हैं। पत्नी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्वयं नसबंदी करवाने के बारे में सोच भी नहीं सकते जबकि चिकित्सा विज्ञान आज इतनी तरक्की कर चुका है कि दर्द रहित यह प्रक्रिया कुछ ही मिनटों में समाप्त हो जाती है। उन्नत तकनीक के बाद भी केवल 10.7 फीसदी पुरुष ही है जो नसबंदी के लिए सहमत है। देखा गया है कि रा
इन कारणों से नहीं है स्वीकार( प्रतिशत)
क्या है भ्रांतिया
परिवार नियोजन में महिला की भूमिका- 99.1
शारीरिक शक्ति में कमी- 88.9
काम नहीं कर पाएंगे- 64.1
यौन क्षमता में कमी – 88.3
सर्जरी का खतरा- 87.5
सर्जरी के बाद परेशानी – 87.8
क्या होती है नो स्कैलप वेसेक्टमी
पुरुष नसबंदी में स्पर्म्स को ले जाने वाली नलिका ‘वासडिफरैंस’ को कट कर दिया जाता है. इस के लिए शल्यचिकित्सक सब से पहले अंडकोषों के ऊपर वाली चमड़ी पर सूई लगा कर उसे सुन्न करते हैं और फिर एक खास तरह की चिमटी से बारीक सूराख कर के उस नली को बाहर निकाल कर अंडकोषों से वीर्य को पेशाब की नली तक पहुंचाया जाता है। पुन: इस थैली को बीच से काट कर दोनों कटे हुए सिरों को बांध कर उन के मुंह बंद कर दिए जाते हैं और वापस अंडकोष थैली के अंदर डाल देते हैं। इस प्रक्रिया में 20 से 25मिनट लगते हैं। व्यक्ति को न तो एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है और न ही अस्पताल में भरती होना पड़ता है।
यह प्रक्रिया बिना किसी चीरे या टांके के संपूर्ण हो जाती है। इस प्रक्रिया के कुछ ही घंटों बाद व्यक्ति अपने पैरों से चल कर घर जा सकता है। यह गर्भनिरोध के लिए महिला नसबंदी जितना ही प्रभावशाली है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें