पीजीआई में हीमोफीलिया पर वर्कशॉप
जीन में गड़बड़ी से रक्त का नहीं बनता है थक्का
बिना चोट के रक्तस्राव को नजर अंदाज न करें
जागरण संवाददाता। लखनऊ
यदि बिना कोई चोट लगे के नाक व मसूड़ा समेत शरीर के बाहर व भीतर के किसी अंग से खून निकल रहा है। इलाज के बाद यदि खून का निकलना बंद नही हो रहा है, तो यह हेमोफिलिया (ब्लीडिंग डिसआर्डर) के लक्षण हैं। हेमोफिलिया ज्यादातर आनुवांशिक बीमारी है। यह बीमारी कभी पूरी तरह से ठीक नहीं होती है। लोगों को जीवनभर इलाज की जरूरत होती है। यह बातें गुरुवार को पीजीआई में आयोजित वर्कशाप में के हिमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रो सोनिया नित्यानंद और प्रो रुचि गुप्ता ने दी। पीजीआई का हिमेटोलॉजी विभाग प्रदेश का नोडल सेंटर नामित है। जिसकी प्रभारी प्रो सोनिया नित्यानंद हैं।
विशेषज्ञों ने जांच करने की जानकारी दी
विशेषज्ञों ने वर्कशाप में गोरखपुर, मेरठ, दिल्ली, कश्मीर, उदयपुर, व देहरादून मेडिकल कालेज से आये पैथालॉजिस्ट और लैब टेक्निशयनों को हेमोफिलिया की जांच के बारे में जानकारी दी। पीजीआई के हिमेटोलॉजी विभाग के प्रो अंसुल गुप्ता, व डॉ. दिनेश चन्द्रा ने इन्हें बेसिक और स्पेशल जांच के सैंपल लेने से लेकर इनकी जांच की विधि बतायी। इनमें प्रोथ्रोम्बिन टाइम (पीटी), एक्टीवेटेट पार्शियल थ्रोम्बोप्लास्टिन टाइम (एपीटीटी), कम्पलीट ब्लड काउंट (सीबीसी), फिब्रिनोजेन, फैक्टर एएसएसएवाई, मिक्सिंग स्टडी समेत अन्य कई जांचों के बारे में बताया। इन्हें लैब में सैम्पल के जरिये जांच कर दिखायी भी गईं। जांच में जितनी जल्दी पुष्टि हो जाती हैं। उतनी जल्दी मरीज का इलाज शुरू हो जाता है।
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