सोमवार, 8 जुलाई 2019

पीजीआइ ने बिना नश्तर लगाए गला दिया बोन ट्यूमर

पीजीआइ ने बिना नश्तर लगाए गला दिया बोन ट्यूमर 
 इंटरवेंशन रेडियोलाजी तकनीक से टली बडी सर्जरी


18 वर्षीय मुद्दसिर के पैर की हड्डी फिबुला में ट्यूमर था जिसके कारण तेज दर्द को परेशानी वह लंबे समय से सह रहा था। चलने फिरने में भी परेशानी हो रही थी। तमाम डाक्टरों को दिखाय कही भी राहत नहीं मिली। थक हार कर वह संजय गांधी पीजीआइ के ट्रामा सेंटर के हड्डी रोग विशेषज्ञों को दिखाने पहुंचा। विशेषज्ञों ने जांच के बाद देखा कि हड्डी में  ट्यूमर है।  जिसका इलाज ओपेन सर्जरी है जिसमें कई तरह के रिस्क भी है। कम उम्र होने के कारण रिस्क लेना ठीक नहीं है। विशेषज्ञों ने इंटरवेंशन रेडियोलाजिस्ट प्रो. सूर्या नंदन के पास सलाह लेने के लिए भेजा । विशेषज्ञ ने बिना अोपेन सर्जरी आरएफए तकनीक से ट्यूमर को गलाने का फैसला लिया।  प्रो. ने बताया कि फिबुला में नाइटस होता है । ट्यूमर होने पर  वहां से खास रसायन का स्राव होता है  जिससे तेज दर्द होता है। लंबे समय तक इलाज न होने पर पैर काम करना बंद कर सकता है। हम लोगों ने इंटरवेंशन तकनीक आरएफए तकनीक के तहत जिसमें खास तरह की मशीनके इलेक्ट्रोड से जुडे निडिल को सीटी गाइडेड ( यानि सीटी स्कैन से देखते हुए) का  एक सिरा उस ट्यूमर तक पहुंचा कर खासा मात्रा कंरट दिए जिससे ट्यमूर जल कर खत्म हो गया। इस प्रोसीजर में  इंटरवेंशन रेडियोलाजी टेक्नोलाजिस्ट सरोज वर्मा, डा. सुनील कुमार , डा, राना ने विशेष भूमिका अदा किया।  मरीज को अगले दिन छुट्टी दे दी गयी।

ओपेन सर्जरी में था रिस्क

विशेषज्ञों ने बताया कि ओपेन सर्जरी करने पर कई बार ट्यूमर का अंश रह जाता है जिससे दोबारा परेशानी की आशंका रहती है। इसके आलावा ट्यूमर हड्डी में अंदर होता है जिसमें पूरा भाग काट कर निकालना पड़ता है। इसके आलावा रक्त स्राव, संक्रमण की आशंका रहती है। ओपोन सर्जरी करने पर मरीज को एक माह से अदिक समय तक बेड पर रहना पड़ता है।

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