आधे घंटे और दो बूंद खून से लगेगा कोराना संक्रमण के आशंका का पता
आईसीएमआर ने जारी जांच करने वाले किट की
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कुमार संजय। लखनऊ
कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका का पता लगना आसान हो जाएगा। भारतीयचिकित्सा अनुसंधान परिषद ने आधे घंटे और दो बूंद खून या प्लाज्मा में संक्रमण की आशंका बताने वाले 12 तरह के किट को हां कहा है। रैपिड जांच की उन किट की लिस्टजारी है जो एफडीए या नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी पुणे से जांच में सही पायी गयी है।इससे आशंका का पता जल्दी लगने से पाजिटिव व्यक्ति इनको एकांत वास में रख कर आगे संक्रमण के फैलाव में मदद मिलेगी । इन रैपिड टेस्ट को नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी ने कई मानकों पर जांचने के बाद जांच के तरीके और उपयोगितापर सहमित जातायी है। इसके बाद आईसीएमआर ने भी इसे मरीजों में इस्तेमाल की सहमति दी है। वायरस के संक्रमित होने सात से आठ बाद जांच कर संक्रमणका पता लगाया जा सकेगा। जांच पाजिटिव आ सकती है। संक्रमण खत्म होनेके बाद भी काफी दिन तक पाजिटिव जांच रिपोर्ट आ सकती है जब कि कोई लक्षण नहीं होगा। बताया गया है कि रैपिड तकनीक से पाजिटिव आने पर साबित होगा कि कोरोना वायरस से एक्सपोजर हुआ है। इनमें आगे पुष्टिके लिए विशेष जांच कराने की जरूरत होगी। निगेटिव होनो पर साहित होगा कि कोरोना का संक्रमणनहीं है।
अभी ऐसे होती है जांच
अभी पीसीआऱ तकनीक से जांच में नाक और गले से स्वाब( खुरचन) का नमूना लियाजाता है उसमें से आरएनए वायरस को अलग पीसीआऱ(पाली मराइज चेन रिएक्सन ) तकनीक से संख्या बढ़ा कर देखा जाताहै उसमें कोराना वायरस का बैंड देखा जाताहै। यह जटिलप्रक्रियाहै
विशेष जांच की जरूरत होगी कम
इंडियन एसोसिएशन की माइक्रोबायोलाजिस्ट की सदस्य और डा. विनीता खरे कहती है कि इससे आरटीपीसीआर तकनीक से कोरोना संक्रमण जांच कराने वाले मरीजों की संख्या में कमी आएगा। यह जटिल और मंहगी जांच है । रैपिड टेस्ट पाजिटिव आता है तो आगे केवल पुष्टि के लिए पीसीआऱ तकनीक से जांच की जरूरत होगी। लोड कम होनेसे संसाधन का इस्तेमाल सही दिशा में होगा।
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