सोमवार, 13 अप्रैल 2020

कोरोना योद्धा --पीजीआई के डा. फैजल और डा. दिवस ने दिखया आइना--पिता ने कहा मेरे बेटे से सीखें मुसलमान होने का मतलब



पीजीआइ के कोरोना वार्ड की इस जोडी के बीच नहीं है धर्म की दीवार
डा.दिवस पाण्डेय और डा.फैजल आजमी की जोडी ने दूसरे डाक्टर और स्टाफ के डर निकालने  के लिए खुद आए आगे
कुमार संजय़     

समाज में दो धर्म के लोगों को बीच चाहे तो मन की दूरी हो लेकिन संजय गांधी पीजीआइ के कोरोना वार्ड में काम करने वाले डा.फैजल आजमी और डा.  दिवस पाण्डेय की जोडी मिल कर अपने को खतरे में डाल कर वार्ड में अपने डाक्टरी धर्म को पूरी सिद्दत के साथ निभा रहे है। इन दोनों डाक्टर के आपसी ताल मेल और लगाव इतना है कि दोनों एक दूसरे को बडा साबित करने में कोई भी तर्क नहीं छोड़ते है। कोरोना वार्ड में काम के दौरान जरा सी चूक इनके लिए भारी पड़ सकती है। ड्यूटी भी यहां की कठिन होती है। 6 घंटे न वाश रूम जा सकतेहै न कुछ खा पी सकते है एक दमअलर्ट रहना होता है। पहली बार ड्यूटी करने में थोडा लोग परेशान होते है । हमलोग फर्सट बैच में ड्यूटी कर लोगों के मन का डर निकालने की कोशिश किए । जब जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती है तब चिंता होना मानवीय प्रवित्त है। इनलोगों के कहा कि  शिक्षक एनेस्थेसिया विभाग के प्रो.पुनीत न हर मोड़ पर मनोबल बढाया। 

---डा. फैजल आजमी कोरोना वार्ड में काम करने के लिए खुद आगे लाए नियमानुसार ड्यूटी लगती तो शायद बाद में नंबर आता । लखनऊ के गोमती नगर के इलाके के रहने वाले है । पिता –माता , भाई , बहन युक्त पूरा परिवार है। सामान्य दिनों में यह दो तीन दिन में शाम को घर चले जाते लेकिन अब कोरना वार्ड में ड्यूटी के दौरान 21 दिन तक घर नहीं जाए पाएंगे। ड्यूटी के बाद अब हमक्वारंटाइन में है। इनके पिता अब्दुल अहद पेशे से वकील है कहते है कि कुछ हमारे समाज के लोग गलत हरकत कर रहे है यह लोग पूरे हमारे समाज का प्रतिनिधत्व नहीं करते है। कही नहीं लिखा है कि महामारी को रोकने के लिए नियमों का पालन मत करें। हमारे बेटे ने तो खुद अपने को कोरोना वार्ड में काम करने के लिए आगे किया जिससे कोरोना मरीजों की सेवा हो सके और दूसरे डाक्टर और स्टाफ में भय कम हो। लोगों को काम करने की प्रेरणा मिले। पत्नी डा.सदफ जो एमडीएस कर रही है उन्होंने भी मनोबल बढाया।

--डा.दिवस पाण्डेय भी कोरोना वार्ड में  फर्स्ट बैच में ड्यूटी के बाद क्वारंटाइन है। इनका घर भी लखनऊ में है ।  माता-पिता कैंट इलाके में रहते है । इमरजेंसी ड्यूटीन होने पर घर चले जाते थे और मा-पिता कीसेवा के साथ घर के काम भी निपटा लेते थे। वह 21 दिन तक घर नहीं जा पाएंगे। पिता घनश्याम पाण्डेय कहते है कि कोरोना के मरीजों की सेवा में लगे डाक्टर की स्थित के बारे में जब विदेशी समाचार देखते है तो थोडा भय होता है लेकिन मानवता से बडा कुछ नहीं है। डाक्टर ही डर जाएंगे तो कौन इनकी देख-भाल करेगा। जिस समय़ पीजीआइ में पहली मरीज कोरोना की भर्ती हुई तो बेटे ने खुद को आगे लाकर ड्यूटी लगवा ली। बेटे का क्वरंटाइन पूरा होने वाला है जांच निगेटिव आ गयी है। ईश्वर का शुक्र है कि सब कुछ ठीक रहा। फोन पर बात हो जाती है। अब जल्दी बेटे से मुलाकात भी होगी। डा. दिवस की अभी शादी नहीं हुई लेकिन मां पिता न भी मनोबल बढाया।         

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