कोरोना के योद्धा –डा. स्कंद
शुक्ला
क्लीनिकल इम्यूनोलाजिस्ट एंड रूमैटोलाजिस्ट
आसान भाषा में बता रहै है कोरोना फैक्ट
इस जीवन में आप अकेले नहीं बस इन बातों का
करें पालन
लक्षण नहीं फिर भी बनाएं रखें शारीरिक दूरी
कुमार संजय। लखनऊ
मैं जानता हूँ कि अनेक लोगों के लिए लाक डाउन
का यह जीवन में नाटकीय परिवर्तन ला रही घड़ी है। मेरा परिवार भिन्न नहीं है :
मेरी बेटी का स्कूल भी बन्द है और वह घर से ही अपनी ऑनलाइन क्लासें ले रही है। इस
कठिन समय में अपने शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना ज़रूरी है। यह आपको केवल
दीर्घकालीन मदद ही नहीं देगा, कोविड-19 से संक्रमित होने पर उससे
लड़ने में भी आपकी मदद करेगा।
पहली बात - स्वस्थ और पौष्टिक भोजन करें। इससे आपका
प्रतिरक्षा-तन्त्र सशक्त रहेगा।
दूसरी बात - मदिरापन कम-से-कम करें और शर्करा-युक्त पेयों
के सेवन से दूरी बनाएँ।
तीसरी बात-, धूमपान न करें। धूमपान के कारण कोविड-19 संक्रमण और गम्भीर रूप ले
सकता है।
चौथी बात - कसरत नियमित करते रहें। वयस्क आधे घण्टे और
बच्चे एक घण्टे के लिए। घर से काम कर रहे हैं , तब भी एक ही मुद्रा में लगातार काम न करें।
हर आधे घंटे में तीन मिनट का ब्रेक लेते रहें।
पाँचवीं बात-, अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ख़्याल रखें। ऐसे
समय में तनाव , भय और भ्रम स्वाभाविक हैं।
अपने करीबियों से बातें करते रहें ; विश्वास ऐसे समय में मददगार है। आसपास के
लोगों की मदद करें , जितनी भी सम्भव हो।
पड़ोसियों , परिवार , मित्रों सभी की। याद रखिए
: सहानुभूति एक औषधि है।
संगीत सुनें , किताबें पढ़ें , खेल खेलें। ज़्यादा समाचार न देखें और न सुनें
: इससे आपकी अकुलाहट बढ़ सकती है। विश्वसनीय सूत्रों से केवल एक बार..दो बार...बस
-जितने लोग सार्स-सीओवी 2 से संक्रमित हैं , उनमें से सभी को लक्षण न
हैं और न होंगे। उनमें से लगभग चौथाई ऐसे हो सकते हैं , जिनके भीतर यह विषाणु है
और जो दूसरों को यह विषाणु दे तो सकते हैं किन्तु वे स्वयं लक्षणहीन हैं। लक्षणहीन किन्तु संक्रमित
लोग हैं। इनके कारण इनके शरीर से विषाणु दूसरे में पहुँच सकता है और उसे रोगग्रस्त
कर सकता है। लक्षणहीन विषाणुधारक यानी
एसिम्पटोमैटिक कैरियर वे लोग हैं , जिन्हें पहचानना सबसे टेढ़ी
खीर है। इनके कारण ही कोविड 19 से लड़ने में सर्वाधिक
मुश्किल आ रही है। चूँकि इन लोगों में संक्रमण के बावजूद कोई लक्षण नहीं हैं , इसलिए ज़ाहिर है कि ये
डॉक्टरों तक नहीं पहुँचते। अस्पतालों में जाँच बहुधा उन्हीं की हो रही है , जो मामूली अथवा गम्भीर
लक्षणों से ग्रस्त हैं।
-परिवर्तनशीलता ( वेरिएबलिटी ) मनुष्य ( जानकर ) नहीं पैदा
करता। वह अनायास ही अपने व अन्य के जीवन को नवीन परिस्थियों के सामने प्रस्तुत कर
देता है और प्रकृति इनमें परिवर्तन ले आती है।
आज दुनिया कोविड-19 पैंडेमिक से जूझ रही है , जिसका कारण एक
कोरोना-विषाणु है। इसका नामकरण सार्स-सीओवी 2 किया गया है ( क्योंकि सार्स-सीओवी 1 नामक एक पुराने विषाणु से
इसे अलग नाम दिया जा सके )। सार्स-सीओवी व इस जैसे तमाम कोरोना-विषाणुओं के पास
डीएनए नहीं होता , अपने कैप्सिड नामक प्रोटीन
के खोलों के भीतर ये आरएनए का एक टुकड़ा धारण करते हैं। ऐसी ही तमाम जानकारी संजय
गांधी पीजीआइ के क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग एन्यूमिनाई डीम इन क्लीनिकल इम्यूनोलाजिस्ट
एंड रूमैटोलाजिस्ट डा. स्कंध शुक्ला सोशल मीडिया ( फेस बुक) वाल से इस समय कोरोना
के बारे में तमाम जानकारी जटिल साइंस को आसान हिंदी में दे रहे है। डा.शुक्ला दस
साल से अधिक समय से तमाम बीमारियों , डिजीज कंटीशन और उपचार के
विकल्प के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। डा.शुक्ला कहते है कि इस समय
कोरोना के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं क्योंकि लोगों को बडी –बडी साइंस के बाते समझ में नहीं आती है। आसान शब्दों में बताने से लोगों
को जानकारी होगी। बचाव के उपाय करेंगे। कहते है कि कोरोना का कोई वैक्सीन नहीं है
शारीरिक दूरी और एकांत वास ही वैक्सीन है। पांच हजार फालोअर है और इनके दी
जानाकारी को तमाम लोग शेयर करते हैं।
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