गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

रक्त दाता नहीं आ पा रहे तो पीजीआइ के डाक्टर ने खुद करने लगे रक्तदान -दिया संदेश

रक्तदान से मिल सकती है किसी को जिंदगी  


रक्तदान कर पीजीआइ के संकाय सदस्यों ने दिया स्वैछिक रक्तदान का संदेश
खून की कमी को पूरा करने के लिए पीजीआइ परिसर या आस पास के लोग आ सकते है आगे

कुमार संजय़। लखनऊ
ब्लड बैंक में रक्त की कमी को देखते हुए संजय गांधी पीजीआइ के संकाय( डाक्टर) सदस्यों ने स्वैछिक रक्त दान किया। लाक डाउन के चलते ब्लड बैंक में कमी है क्योंकि लाक डाउन के चलते स्वैछिक और रिप्लेसमेंट डोनर पीजीआइ नहीं आ पा रहे है। व्लड बैंक को प्रो. अतुल सोनकर और प्रो.राहुल  के मुताबिक हम खून की कमी को पूरा करने के लिएकई स्तर पर कोशिश कर रहे है कुछ स्वैठिक रक्त दाताओं को पास बनवा कर भेजा तो कुछ लोग आए जिससे हमने 400 यूनिट के ऊपर का स्टाक बना लिया है लेकिन थैलेसीमिया और कैंसर के मरीजों में काफी खून की जरूरत रोज पड़ रही है। इस समय भी 45 से 50 यूनिट खून की जरूरत रोज है। इसी कमी को पूरा करने के लिए स्वैछिक रक्त दान की अपील की गयी है। बुधवार को न्यूओटो लाजिस्ट प्रो. अमित केसऱी, न्यूरो सर्जन प्रो. कमलेश सिंह बैसवार , न्यूरो सर्जन प्रो. कुंतल कांति दास. पैथोलाजी के प्रो. राघवेंद्र , ट्रामासेंटर के मैक्सीफेशियल सर्जन  प्रो.कुलदीप ने रक्त दान किया। प्रो. अमित का कहना है कि संदेश देने की कोशिश किया है कि जो लोग कैंपस में, संस्थान परिसर के आस –पास रहते है वह लोग आगे आकर रक्त दान करें जिससे भर्ती मरीजों को खून की कमी न पडे। ब्लड कैंसर, कैंसर, थैलेसीमिया के आलावा डायलसिस पर चल रहे किडनी मरीजों के आलावा अन्य विभागों में भर्ती मरीजों को खून की जरूरत पड़ती है । यह ऐसा प्राकृतिक तत्व है जो केवल मनुष्य से ही मिल सकता है। प्रो.कमलेश और प्रो.कुतंल कांति कहते है कि दूर से लोग नहीं आ सकते है लेकिन आस –पास के लोग पीजीआइ आकर स्वैछिक रक्त दान मानव जीवन बचाने में मदद करें।

42 दिन में खराब हो जाता है खून


खून का इस्तेमाल न होने पर वह 42 दिन में खराब हो जाता है फिलहाल हमारे पास इननी मांग है कि खून खऱाब नहीं हुआ लेकिन मांग न होने की दशा में भी खून स्टाक रखना होता है क्योंकि कोरोना के मरीजों में खून की जरूरत पड़ सकती है। स्वैछिकरक्त दान के लिए बैलेंस बनाने की कोशिश की जा रही है।

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