धैर्य और जज्बे
के अस्त्र से कोरोना पर वार
जूनियर नर्स देखती हैं इनमें मां का चेहरा, महसूस कराया मैं हूं न
’ स्वाइन फ्लू के
बाद अब कोरोना के मरीजों की देखभाल में लगीं
’ कोरोना का कहर
शुरू हुआ तो फिर जुट गईं वार्ड प्रबंधन में
’ कोरोना वार्ड में
बनी रहती है संक्रमण की आशंका
स्वाइन फ्लू का
प्रकोप आया तो नया वार्ड शुरू कराने के साथ भर्ती मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी
संभाली। कोरोना का कहर शुरू हुआ तो फिर वार्ड प्रबंधन में जुट गईं। उम्र 55 वर्ष है, पर युवा स्वास्थ्यकर्मियों की अगुवाई करती हैं। कोरोना
वार्ड में संक्रमण की आशंका बनी रहती है, लेकिन धैर्य के साथ जज्बे के अस्त्र से वायरस पर वार कर रही हैं। कहती हैं,
मैं डर गई तो फिर युवा नर्सो को साहस कौन देगा।
फिर तो कोरोना के मरीजों का इलाज पर संकट आ जाएगा।
संजय गांधी
पीजीआइ की वरिष्ठ नर्स (डीएनएस) इंदु लता कोरोना के योद्धाओं में से एक हैं। वह
कोरोना वार्ड में इन दिनों नई नर्सो के साथ मिल कर काम कर रही हैं। मरीजों के इलाज
के साथ नर्सो के अंदर का भय भी मिटा रही हैं। नई नर्से उनमें मां का चेहरा देखती
हैं। उन्होंने हर मौके पर मां की तरह आगे बढ़कर उनका नेतृत्व भी किया। जूनियरों को
हमेशा हिम्मत बंधाया कि मैं हूं न..। कोरोना वार्ड में ड्यूटी के लिए सीएनओ कालिब
सोलंकी के साथ मिल कर पूरी योजना तैयार किया। सारे नर्सो की काउंसिलिंग किया।
उन्हें बताया कि कैसे अपने को बचाते हुए मरीज की सेवा करना है। वार्ड में कोरोना
के मरीज भर्ती हो रहे हैं। पहला बैच ड्यूटी कर बाहर आ गया। सब कुछ ठीक चलने पर
सबने ईश्वर के प्रति आभार प्रकट किया। इनके साथ काम करने वाले मलखान सिंह, रूपा सिंह, चंदन यादव, सीमा मिश्र,
ओम प्रकाश, पूनम, बबलू कहते हैं कि
टीम लीडर के जरिए ही लड़ाई जीती जाती है। मैडम हम लोगों के साथ हमेशा खड़ी मिलती
हैं।
घर पर एकांतवास
इंदु ड्यूटी के
बाद जब वह घर जाती हैं घर में खुद अलग कमरे में रहती हैं। कहती हैं, क्योंकि डर लगा रहता है कि कहीं वे संक्रमित
हुईं तो बच्चों में भी संक्रमण हो सकता है।
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