सोमवार, 6 अप्रैल 2020

करोना के योद्धा -डा.धर्मवीर सिंह वीडियो काल ही है बच्चे का चेहरे देखने का सहारा

करोना के योद्धा -डा.धर्मवीर सिंह

वीडियो काल ही है बच्चे का चेहरे देखने का सहारा
विदेश न जाकर देश में रह सेवा को बनाया साधन
कुमार संजय़। लखनऊ   


संजय गांधी पीजीआइ माइक्रोबायलोजी विभाग के डा.धर्मवीर सिंह को घर से छोड़े कई दिन हो गए है। वीडियो काल ही एक साल के बच्चे का चेहरा देखने का सहारा है। पत्नी से फोन पर हाल चाल हो जाताहै। वह कोरोना मरीजों की जांच  में लगे है ।जांच करने के साथ बायोसेफ्टी पर उनकी विशेष जिम्मेदारी है ताकि कही से वायरस लीक हो कर किसी को बीमार न कर दें। इससे पहले वह स्वाइन फ्लू की जांच में लगे रहे । उससमय पीएचडी कर रहे थे लेकिन वह पढाई के साथ स्वाइ फ्लू जांच में पूरा काम किया। पीएचडी पूरी करने के बाद चाहते तो विदेश में पीडीएफ मिल जाता लेकिन उऩ्होंने देश सेवा को साधन बनाया । डा.धर्मवीर ने संस्थान के माइक्रोबायलोजी विभाग में पीडीएफ ज्वाइन किया वह जपानी इंसेफेलाइटस पर काम कर रहे है लेकिन देश पर कोरोना की आपदा आने के बाद अपने को जांच के लिए आगे किया। जांच शुरू हुई तो काम था लेकिन अब धीरे-धीरे नमूनों की संख्या बढ़ रही है। इससे 24 घंटे यहीं रहना पड़ता जब थक जाते तो एक आध घंटे आराम करने के लिए गेस्ट हाउस चले जाते है। विशेषज्ञों का कहना है कि जांच के दौरान सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि वायरस को सीधे हैंडिल करते है। नाक या गले से जो खुरचन ली जाती है उससे आरएनए को अलग किया जाता है। उस आरएनए की संख्या पीसीआऱ तकनीक से बढा कर उसमें कोरोना का स्ट्रेन देखते है इस दौरान जा सी चूक संक्रमण के घेरे में ले सकती है।  इसी तरह स्वाइन फ्लू की जांच में भी काफी रिस्क था जिससे काफी अनुभव हुआ। प्रो. उज्वला घोषाल के निर्देशन में सीनियर लैब टेक्नोलाजिस्ट वीके मिश्रा के साथ कोरोना जांच को आंजाम देने में लगे हैं।

पीपीई किट का ट्रेनिंग भी दिया
दूसरे संस्थान में जांच में लगे लोगों को सुरक्षा किट पहनने के साथ ही जांच का तरीका  के आलावा तमाम हेल्प दे रहे है।   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें