करोना के योद्धा
पीजीआइ के डा.अजय शुक्ला सोशल मीडिया के जरिए जगा रहे है कोरोना के खिलाफ अलख
कोरोना मरीजों की कर रहे देख –रेख
कोरोना से लड़ने के लिए एक परिवार की तरह करना होगा सामना
कुमार संजय। लखनऊ
-अनजाने में हुई गलती का भी परिणाम आप को भुगतना पड़ता है ।इसलिए कोरोना की बीमारी को हलके में लेने की गलती ना करें
व्याघ्रबुद्धया विनिर्मुक्तो बाणः पश्चात्तु गोमतौ।
न तिष्ठति भिनत्त्येव लक्ष्यं वेगेन निर्भरम्॥
बाघ समझकर (उसे मारने के लिए) छोड़ा गया बाण यह जान लेने पर कि ‘यह बाघ नहीं गाय है’, रुकता नहीं और वेगपूर्वक लक्ष्य वेध करता ही है
- हमारे शरीर में रहने वाले 300 ख़रब से ज़्यादा जीवाणु और अन्य सूक्ष्म जीव और उनके आनुवंशिक पदार्थ (हमारे हर एक जीन की तुलना में २००-३०० जीवाणु जीन है) रहते हैं।ईश्वर नें विश्व में जीवन को बड़ा अद्भुत बनाया है।यह जीवों को कठिन से कठिन परिस्थिति में भी ज़िंदा रखता है और बढ़ाता है।
ऐसी ही तमाम जानकारी और जागरूकता भरे लेख संजय गांधी पीजीआइ में डाक्ट्रेट आफ मेडिसिन की पढाई कर डा. अजय शुक्ला य: पश्यति स पश्यति के नाम शोध फेस बुक पर पेज पर दे रहे हैं। इसी नाम से ब्लाग जिसके जरिए बीमारियों के बारे में तमाम जानकारी और जागरूकता फैलाना का काम कर रहे है। इनकी ड्यूटी भी कोरोना मरीजों के देख भाल में लगी है। कोरोना के बारे में कई जानकारी दे रहे है। वह लिखते है कि चिकित्साकर्मी ,पुलिस ,मीडिया,सफ़ाई कर्मी आदि कोरोना वॉरीअर हैं ,लेकिन कोरोना बैरियर कौन हैं। किसी भी महामारी से लड़ने में सबसे बड़ी बाधा उसके पीछे का विज्ञान नही,बल्कि उसके पीछे का समाज शास्त्र है । हम कोरोना ग्रसित लोगों पर कलंक लगाते गए तो लोग बिमारी छुपाएँगे,जिससे ज़्यादा लोगों को संक्रमण का ख़तरा होगा।कई लोग समजिक बहिष्कार के डर से भी अपनी बीमारियों को छुपाएँगे । इस लिए इनकों सामने आने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। ग़लत या अधूरी खबरों से भ्रम एवं भय का वातावरण ना बनाए।लोगों को जागरूक करे,उनका उत्साह बढ़ाए । लड़ाई लम्बी चलेगी हमें सारे भेदों को भूल कर एक परिवार की तरह ही लड़ना होगा।
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