प्रीवोटेला ठीक करेगा लाइलाज मल्टीपिल स्केलेरोसिस
पीजीआइ के एल्यूमिनाई और अमेरकी वैज्ञानिक ने खोजा इलाज
तंत्रिता तंत्र की बीमारी से ग्रस्त मरीजों के पेट कम हो जाते है अच्छे बैक्टीरिया
कुमार संजय। लखनऊ
भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक एवं संजय गांधी पीजीआई के क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग के एल्यूमिनाई और उत्तर प्रदेश को गोडा जिले के रहने वाले डॉ. आशुतोष मंगलम की अगुवाई में शोधकर्ताओं की एक टीम ने आंत के बैक्टीरिया प्रीवोटेला' की खोज की है। जिसका इस्तेमाल मल्टीपल स्क्लेरोसिस और इससे मिलती-जुलती अन्य बीमारियों का इलाज संभव होगा। संजय गांधी पीजीआइ में अायोजित इंडियन एसोसिएशन अाफ रूमैटोलाजी के वार्षिक अधिवेशन में भाग लेने अाए अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा के पैथोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डा. मंगलम ने बताया कि ‘हमारी आंत में खरबों अच्छे बैक्टीरिया रहते हैं। वह हमें सेहतमंद बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। अच्छे बैक्टीरिया हमारे भोजन को पचाने के अलावा हमारे शरीर की विभिन्न क्रियाओं में मदद करते हैं। नए शोध के मुताबिक हमारी आंत के अच्छे बैक्टीरिया हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाओं के विकास में मदद करते हैं। मल्टीपल स्क्लेरोसिस के मरीजों की आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की कमी हो जाती है, जिसकी वजह से कुछ लोगों में यह बीमारी होती है। इसलिए हमने मल्टीपल स्क्लेरोसिस के मरीजों की आंतों में बैक्टीरिया की जांच की और उनकी तुलना सेहतमंद लोगों की आंत के बैक्टीरिया से की देखा कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस के मरीजों की आंत के बैक्टीरिया सेहतमंद लोगों से भिन्न थे। हमने उन विशेष बैक्टीरिया की पहचान की जिनकी कमी मल्टीपल स्क्लेरोसिस के मरीजों में थी। खासकर हमने पाया कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस’ के मरीजों में प्रीवोटेला नाम के बैक्टीरिया की कमी थी। प्रीवोटेला के विभिन्न उपभेदों (स्ट्रेन्स) को सेहतमंद लोगों की आंत से निकाला और उनका परीक्षण चूहों पर किया। पाया कि बहुत सारे बैक्टीरिया में से एक प्रीवोटेला हिस्टीकोला में मल्टीपल स्क्लेरोसिस वाले चूहों में बीमारी को सुधारने की क्षमता थी। प्रीवोटेला हिस्टीकोला ने बीमारी के लक्षण में सुधार लाने के साथ-साथ दिमाग और रीढ़ में सूजन को भी कम किया।
मजबूत हो सकता है इम्यून सिस्टम
उनकी टीम ने यह भी दिखाया की ‘प्रीवोटेला हिस्टीकोला’ ने शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को बढ़ाया. यह खोज इसी साल अगस्त महीने में ‘सेल रिपोर्ट’ पत्रिका में प्रकाशित हुई । अभी इस बैक्टीरिया पर और शोध करने की जरूरत है ताकि इसके प्रभाव की जांच ठीक से की जा सके । इस टीम को यह खोज करने में करीब चार साल का वक्त लगा। दुनिया भर में करीब 30 लाख लोग इस बीमारी की चपेट में हैं. साल 2015 में इस बीमारी से करीब 20,000 लोगों की मौत हुई थी।
क्या है मल्टीपल स्केलेरोसिस
मल्टीपल स्क्लेरोसिस ' केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की बीमारी है जो दिमाग और रीढ़ को प्रभावित करती है. यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) के कमजोर होने और माइलिन कोशिकाओं का बनना बंद होने के कारण होती है. आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों से भी यह बीमारी हो सकती है. इसमें शरीर के विभिन्न अंग प्रभावित होते हैं. करीब 20 से 50 साल की उम्र के बीच के लोगों को अपना शिकार बनाने वाली इस बीमारी की चपेट में लंबे समय तक रहने से मरीज को विकलांगता का शिकार होना पड़ता है.
यह लकवा से अलग तरह की बीमारी है
भारत में मल्टीपल स्क्लेरोसिस रोग की चपेट में आने वाले लोगों की तादाद काफी बढ़ी है। इस रोग का निदान थोड़ा कठिन होने के कारण डॉक्टरों का मानना है कि भारत में इसके मरीजों की सही से पहचान नहीं हो पाती. उन्होंने कहा कि लोगों में मल्टीपल स्क्लेरोसिस के बारे में और जागरूकता फैलाने की जरूरत है. सही पहचान न होने पर मरीजों को गलत दवा देने की आशंका रहती है।
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