गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

सरकारी अस्पताल एनएबीएच से कराएं प्रमाणीकरण-प्रो.एसके सरीन






सरकारी अस्पताल एनएबीएच से कराएं प्रमाणीकरण-प्रो.एसके सरीन
एबीबीएस स्तर पर शिक्षा में बदलाव की जरूरत
पीजीआई ने शुरू की है एनएबीएच प्रमाणीकरण की प्रक्रिया


हर अस्पताल को नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फार हास्पिटल एंड हेल्थ केयर( एनएबीएच) से प्रमाणित कराना चाहिए। इससे अस्पताल कमी का पता चलता है जिसे दूर किया जा सकता है। इससे एक मानक तय हो जाता है कि मरीज को कितनी देर  और किस तरह का इलाज मिल रहा है।यह बात गुरूवार को संजय गांधी पीजीआई के 34 वें स्थापना दिवस के मौके पर इंस्टीट्यूट अाफ लिवर एंड हिपैटोबिलेरी साइंस( अाईएलबीएस) के निदेशक एवं एमसीआई के पूर्व चेयरमैन प्रो.एसके सरीन ने कही । कहा कि कारपोरेट अस्पताल तो एनएबीएच से प्रमाणीकरण कराते है लिकन सरकारी अस्पताल उसे पुराने ढर्रे पर चल रही है। इसमें बदलाव की जरूरत है। कहा कि 68 हजार एबीबीएस की सीटे है जबिक पीजी की 35 हजार सीट है । इस तरह 32 हजार बच्चे पीजी नहीं कर पाते है इस लिए एबीबीएस स्तर पर ही पढाई का स्तर काफी उंचा करना पडेगा। एमबीबीएस करने वाले छात्रो को विशेषज्ञ बनना बडी चुनौती है । इनको बढिया डाक्टर बनाने के लिए उनमें सीखने की रूचि पैदा करनी होगी। मरीज को अच्छा सपोर्ट दे। डाटा अच्छी तरह से कलेक्ट करे। बात-चीत का तरीका सौम्य होना चाहिए इसके साथ ही वह समाज , मरीज और प्रोफेशन के लिए जवाबदेह यह गुण पैदा करने के लिए एमबीबीएस स्तर ही काफी बदलाव की जरूरत है। क्लीनिकल सर्विस, मेडिकल प्रोफेशन में पैरा मेड़िकल स्टाफ जैसे नर्सेज    में उन्ही को लेना चाहिए जिनके पास सेवा भाव हो हम लोग एक्जाम उसका ज्ञान देखते है जिससे उसमें कितनी मानवता है , सेवा भाव है इसका पता नहीं लगता है। इस लिए इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। मेडिकल छात्रों के बारे में कहा कि उनका लक्ष्य हमेशा उंचा रहना चाहिए , गुणवत्ता से कभी समझौता न करें। छात्र ही टीचर की क्वालिटी का अाकलन करें और जो छात्र अच्छे है उनके संस्थान कैसे अपने यहां रोके इसके लिए पालसी की जरूरत है। सीएमएस प्रो.अमित अग्रवाल ने कहा कि हम एनएबीएच से प्रमाणीकरण के लिए प्रक्रिया शुरू कर दिए है।




बीस फीसदी मामलों में होता है डायग्नोसिस की गल्ती
प्रो.सरीन ने कहा कि हमारे देश में बीस फीसदी मामलों में गलत बीमारी डायग्नोस होती है अमेरिका में यह 17 फीसदी है इस लिए गल्ती को छिपाएं नहीं । होता यह है कि एक बार जो डायग्नोसिस बन जाती है वहीं अाखिरी तक मान कर इलाज चलता रहता है प्राइमरी डायग्नोसिस को क्रास चेक करना चाहिए। नर्सेज भी इस तरह की गल्ती करती है जिसमें मिलते-जुलते नाम की दवा दी जाती है इसमें तुरंत गल्ती को बताना चाहिए इससे सुधार या बचाव के उपाय संभव हो सकेंगे। 

बनने जा रहा है नेशनल मेडिकल कमीशन 

मेडिकल एजूकेशन और चिकित्सा पर नियंत्रण के लिए भारत सरकार नेशनल मेडिकल कमीशन बिल अाने जा रहा है। प्रो.सरीन ने कहा कि इसमें सभी  भाग  एबीबीएस, पीजी, नियंत्रण नियमावली शामिल , नियंत्रण शामिल होंगे। इसमें परेशानी यह है कि 99 फीसदी सरकारी नियंत्रण में होगा इससे ब्यरोक्रेसी उस विषय़ पर फैसला लेना जिस पर डाक्टरों को फैसला लेना है एेसा न हो कि अच्छा के चक्कर में बुरा हो जाए इसलिए सरकार को इसमें डाक्टरों को ही भागीदार बनाना चाहिए। 



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