रविवार, 10 दिसंबर 2017

पीजीआई के चार विभाग के विशेषज्ञों ने एक साथ मिल कर बचायी जान

पीजीआई के चार विभाग के विशेषज्ञों ने एक साथ मिल कर बचायी जान

नार्थ इंडिया में इस तरह की हुई पहली सर्जरी

एड्रिनल ग्लैड से दिल में चला गया खून का थक्का

दिल की बाईपास सर्जरी के साथ ही एड्रिनल ग्लैड, लिवर और किडनी की हुई सर्जरी


नार्थ इंडिया का यह पहला मामला है जिसमें  दिल की बाईपास सर्जरी के साथ ही एड्रिनल ग्लैड, लिवर और किडनी की सर्जरी कर किसी मरीज को जीवन दिया गया हो। पैतिस वर्षीय रूकमी के चेहरे पर बाल, अनियंत्रित ब्लड प्रेशर की परेशानी लेकर संजय गांधी पीजीआई के इंडोक्राइनो सर्जरी विभाग के प्रो.अमित अग्रवाल से संपर्क किया तो अनुभाव के अाधार पर देखते ही जान गए कि एड्रिनल ग्लैंड में परेशानी है जांच करायी तो पुष्टि हुई कि एड्रिनल ग्लैंड में ट्यूमर है लेकिन प्रो.अमित की परेशानी तब बढ़ गयी जब देखा कि ग्लैंड से दिल को जाने वाली नली रीनल वेन से खून का थक्का इंफीरियर वेना केवा के जरिए दिल के दहिने एट्रियम में फंस गयी है जिससे इसकी जान भी जा सकती है। इसके साथ कैंसर किडनी और लिवर को भी अपने चपेट में ले लिया था। किसी दूसरे अस्पताल के लिए यह ला इलाज मामला था लेकिन हमारे पास हार्ट सर्जन सहित अन्य विशेषज्ञता की टीम एक छत के नीचे है जिसका फायदा इस मामले में मिला। हमने हार्ट सर्जन प्रो. गौरंग मजूमदार, प्रो.एसके अग्रवाल,गैस्ट्रो सर्जन प्रो. अानंद प्रकाश, यूरोलाजिस्ट प्रो. राकेश कपूर और प्रो.संजय सुरेका और निश्चेतना विशेषज्ञ प्रो. प्रभात तिवारी के साथ पूरा मामला रखा सबने तय किया कि पहले हार्ट की बाई पास सर्जरी कर थक्का निकाला जाए। हार्ट सजर्न की टीम ने बाई पास सर्जरी थक्का निकाला। साथ हम लोगों ने एड्रिनल ग्लैंड के साथ , लिवर और किडनी के प्रभावित भाग को निकाला। काफी जद्दोजहद के बात रूकमी के हालत में सुधार होने लगा । फालोअप पर आयी रूकमी ने सभी के प्रति अाभार प्रकट किया। प्रो. अमित का कहना है संस्थान में डेडीकेटेड टीम के कारण एेसे जटिल कैस को हैंडिल करना संभव हुअा। विशेषज्ञों का कहना है कि नार्थ इंडिया में अभी इस तरह का केस रिपोर्ट नहीं हुअा है। 


टीईओ से पल -पल रखा थक्के पर नजर

प्रो.प्रभात तिवारी ने ट्रांस इंसोफेजियल इकोग्राफी ( टीईअो) कर थक्के के स्थित पर नजर रखा यदि थक्का फट जाता तो दिल की रक्त वाहिका बंद हो जाती है जिससे बडी परेशानी खडी हो सकती थी । इसके अलावा एनेस्थेसिया देने में भी विशेष सावधानी की जरूरत पडी। 

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