रविवार, 3 दिसंबर 2017

एमअारआई ने बदल दी एंकलाइजिंग स्पांडलाइिटस के इलाज की दिशा , जल्दी लगता है पता

एमअारआई जांच से  एंकलाइजिंग स्पांडलाइिटस का जल्दी लगता है पता
जल्दी बीमारी का पता लगने के कारण स्पाइन को बचाना हो रहा है संभव

एंकलाइजिंग स्पांडलाइिटस (एएस) के इलाज की दिशा में एमअारअाई जांच ने बडा बदलाव ला दिया है। स्पाइन की एमअारअाई जांच से बीमारी का पता शुरूअाती दौर में  ही लग रहा है जिसके कारण रीढ़ की हड्डी को अापस में चिपकने से रोकने, मरीज को कुछ साल बाद दाव से मु्क्ति , 50 फीसदी मरीजों में बीमरी से पूरा अाराम मिल रहा है। यह जानकारी कनाडा के रूमैटोलाजिस्ट प्रो. निजिल हारून ने दी। बताया कि एंकलाइिजंग स्पांडलाइिटस भी एक तरह की अर्थराइिटस ही जिसमें रीढ़ की हड्डी के बर्टीब्रा में सूजन अा जाता है। सूजन बढने के साथ ही कुछ साल में हड्डी अापस में जुड़ जाती है एेसे में कमर झुकने के साथ हड्डी का लचीलापन खत्म हो जाता है। पहले जांच की विशेष सुविधा न होने के कारण अाठ से दस साल बीमारी का पता लगता था जब तक रीढ़ की हड्डी काफी खराब हो जाती जिससे ठीक करना संभव नहीं था लेकिन अब जल्दी पता लगने के कारण हड्डी को खराब होने से बचाना संभव हो गया है। पहले इलाज के लिए एंटी इंफलामेट्री दवाएं दी जाती थी जिससे केवल 10 फीसदी लोगों को ही अाराम मिलता था लेकिन नई दवाअों से जल्दी डायग्नोसिस होने के कारण पचास फीसदी लोगों में दवा हमेशा के लिए बंद हो जाती है। 50 पीसदी लोगों को पूरा अाराम मिल जाता है। 

अब बच्चों को भी एएस 
एंकलाइजिंग स्पाडलाइिटस सबसे अधिक युवाअों को गिरफ्त में लेती है जिसमें 20 से 40  अायु वर्ग के लोग शामिल है लेकिन अब देखने में अा रहा है कि अाठ से 10  साल के बच्चे भी बीमारी के चपेट में आ रहे हैं। 

क्या है एएस

इस बीमारी से प्रभावित लोगों में प्रात:काल उठने पर पीठ में अकडऩ रहती है जो धीरे-धीरे कम हो जाती है। लंबे समय कत बैठे रहने पर दर्द बढ़ जाता है। व्यायाम करने पर दर्द कम हो जाता है।  लंबे समय तक बीमारी के साथ रहने पर हिप व कूल्हे का जोड़ २५ से ३० प्रतिशत लोगों में प्रभावित हो सकता है। ५० प्रतिशत लोगों की आंख प्रभावित हो सकती है। आंख में लालपन,दर्द व धुंधला दिखाई पडऩे की परेशानी हो सकती है।  पांच प्रतिशत मरीजों का दिल प्रबावित हो सकता है।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें