शनिवार, 2 दिसंबर 2017

वेस्कुलाइटिस से ग्रस्त 90 फीसदी में बिना जरूरत चल जाती है टीबी की दवा



वेस्कुलाइटिस से ग्रस्त 90 फीसदी में बिना जरूरत चल जाती है टीबी की दवा



किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है वेस्कुलाइिटस
दस हजार में एक होती है वेस्कुलाइिटस की परेशानी
जागरण संवाददाता। लखनऊ 
अाटो इम्यून डिजीज वेस्कुलाइटिस से ग्रस्त 90 फीसदी मरीजों में बिना जरूरत टीबी की दवा ( एंटी ट्यूबर कुलर ) चल जाती है । इन मरीजों में इस दवा से कोई फायदा नहीं होता उल्टे वेस्कुलाइिटस की वजह से मरीज में परेशानी और बढ जाती है। इस लिए सामान्य चिकित्सक को भी एटीटी शुरू करने से पहले इस अाटो इम्यून डिजीज के बारे में सोचना चाहिए। मरीज या तीमारदारों को भी थोडा जागरूक होना पडेगा। वेस्कुलाइिटस से लक्षण है तो एक बार रूमैटोलाजिस्ट से सलाह जरूर लेना चाहिए। यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई में इंडियन एसोसिएशन अाफ रूमैटोलाजी ( अाइराकांन-2017) के वार्षिक अधिवेशन में हैदराबाद अोपोलो से रूमैटोलाजिस्ट एवं एसजीपीजीआई के एल्यूमिनाई प्रो. सर्वजीत पाल ने दी । बताया कि वेस्कुलाइिटस शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। जिस अंग होता है वह अंग प्रभावित होता है। सबेसे अधिक हाथ, पैर में होता है जिसे पेरीफेरल वेस्कुलाइिटस कहते है। इसके अलावा दिल में होता है जिसे टाकायासू अार्टराइिटस कहते है। ब्रेन में होता है तो इसे सीएनएस वेस्कुलाइिटस कहते है। बताया कि दस हजार में से एक में यह बीमारी होती है। देखा गया है कि 30 से 40 अायु वर्ष के लोगों में यह बीमारी अधिक होती है। 65 से अधिक उम्र  के लोगों में सीएनएस वेस्कुलाइिटस होती है। समय से सही इलाज दिया जाए तो इस बीमारी पर वहीं पर रोक कर जिंदगी बिना परेशानी के बढाई जा सकती है। बताया कि इस बीमारी में वेसोडाइलेटर दवाएं दी जाती है। अब टारगेट थिरेपी( एंटी टीएनएफ) दवाएं अा गयी है जिससे इलाज  की सफलता दर बढ़ गयी है।

क्या है वेस्कुलाइिटस
पीजीआई के क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग के प्रो.विकास अग्रवाल ने बताया कि इस बीमारी में शरीर के रक्त वाहिकाअों के खिलाफ एंटी बाडी बन जाती है  जिससे रक्त वाहिका संकरी हो जाती है जिस अंग के रक्त वाहिका संकरी होती है उसमें खून का प्रवाह कम हो जाता है। इलाज न होने पर वाहिका बंद भी हो सकती है जिससे वह अंग काम करना बंद कर देता है। 

कैसे लगता है बीमारी का पता
- ईएसअार काफी बढा होता है
- ब्लड पिक्चर कराने कोशिकाअों में असंतुलन 
- एमपीअो और पीअारथ्री एंटी बाडी का स्तर बढा होता है

लक्षण - ठंड में हाथ पैर नीले पड़ जाते है साथ ऊंगिलयों के पोर नीले हो जाते है। हाथ पैर में झनझनाहट होती है। शरीर का भार तेजी से कम होता है। लगातार बुखार की परेशानी होती है। 



रूमटायड अर्थराइिटस के चालिस फीसदी में डिप्रेशन

इंग्लैंड के वासलेडन अस्पताल के रूमैटोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. अनुराग भाद्वाज ने रूमटायड अर्थराइिटस से ग्रस्त मरीजों में शोध कर देखा कि इस बीमारी से ग्रस्त 40 फीसदी लोगों में डिप्रेशन की परेशानी होती है। इनमें डिप्रेशन का इलाज न किया जाए तो अर्थराइिटस का इलाज काम नहीं करता है। इस लिए इन मरीजों में अर्थराइटिस का इलाज करने से पहले इनमें डिप्रेशन की स्थित का भी पता करने के बाद दोनों स्तर पर इलाज करना चाहिए। इस शोध को विश्व स्तर पर कई फोरम में स्वीकार कर लोगों ने सहमति जतायी है। डिप्रेशन का पता करने के लिए जब मरीज अाता है उसी समय कुछ सवाल पूछे जाते है जिससे डिप्रेशन का पता लग जाता है । डिप्रेशन की वजह से व्यक्ति खुश नही रहता, जीवन उसे बेकार लगता है कई बार यह स्थित उसे अात्महत्या के लिए प्रेरित करती है। 

योगा और फिजियोथिरेपी है फ्राइब्रोमायलेजिया का इलाज
 
 प्रो. अनुराग पीजीआई के क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग के एल्यूमिनाई है । इसके अलावा फ्राइब्रोमायलजिया पर बताया कि इसमें शरीर में दर्द, पेट में परेशानी थकान, नींद न अाने की सहित कई परेशानी होती है लेकिन किसी जांच में कुछ नहीं अाता  है। हम लोग दर्द के शरीर पर बने 11 से 18 प्वाइंट की जांच कर बीमारी का पता करते है। इस बीमारी का खास इलाज नहीं है लेकिन हम लोग कुछ दवाअों, योगा, फिजियोथिरेपी से जीवन सामान्य करने की कोशिश करते हैं।  

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