रविवार, 10 दिसंबर 2017

भोजन, शारीरिक गतिविध और दवा के बीच ही डायबटीज मरीजों में सीधा रिश्ता

पीजीआई में इंडोक्राइन साइंस समिट

केवल दवा से नहीं संभव है डायबिटीज पर कंट्रोल
भोजन, शारीरिक गतिविध और दवा के बीच ही सीधा रिश्ता
बिस्कुट और अालू को करें ना


डायबिटीज पर नियंत्रण के लिए तीन तरफ से प्रहार करने की जरूरत है। भोजन, शारीरिक गतिविधि और दवा तीनो में खास रिश्ता है। तीनो के बीच सामंजस्य बना कर ही लंबे समय तक शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है। हर डायबिटीज मरीज को पोषण विशेषज्ञ के सलाह से भोजन लेना चाहिए सलाह के इतर जाने पर शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इसके साथ कम से अाधे घंटे फिजिकल रूप क्रियाशील यानि तेज चलना, व्यायाम शामिल है करने की जरूरत है तभी दवा से फायदा होगा नहीं तो दवा लेने के बाद शुगर के स्तर उतार -चढाव होता रहेगा। यह बात संजय गांंधी पीजीआइ में अायोजित इंडोक्राइन साइंस समिट में संस्थान की डा. मनीषा काकाजी ने कही। कहा कि तीनों के बीच जरा सा भी तालमेल गड़बड़ होने पर शुगर का स्तर गड़बडा जाता है। कहा कि इनको भूखे भी नहीं रहना है और पार्टी भी नहीं करनी है। खाने में अालू का इस्तेमाल न करने की भी सलाह दिया कहा कि अालू में एेसा कुछ नहीं है जो फायदा देता हो। हम लोगों के हर सब्जी में अालू जरूर होता है हम अालू की जगह सोयाबीन का इस्तेमाल कर सकते है। इसके अलावा घर में बिस्कुट तो रखना ही नहीं चाहिए क्योंकि यह चीनी और घी से बनता है तो किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं है। बच्चों को भी लोग बिस्कुट पकडा देते है इससे इनमें अागे चल कर परेशानी की अांशका रहती है। पीजीआई के इंडोक्राइन विभाग के प्रो.सुशील गुप्ता ने कहा कि  वर्तमान समय में 7.2 करोड़ लोग डायबटीज से ग्रस्त है 2045 यह संख्या दो गुना हो जाएगी जिसके कारण इससे जुडी बीमारियों के मरीजों की संख्या भी बढेगी। 


85 फीसदी में विटामिन बी 12 की कमी

डा. मनीषा ने बताया कि केवल दो फीसदी लोग मांसाहारी जिसके कारण 98 फीसदी महिलाअों में विटामिन बी 12 की कमी देखने को मिली इसके साथ 80 फीसदी में कैल्शियम की कमी देखने को मिली है। बी 12 की कमी से एनीमिया की अाशंका बढ़ जाती है देखा गया है कि एनीमिया एक हजार में से पांच से अाठ मामलों में बी 12 की कमी के कारण एनिमिया की परेशानी होती है। कैल्शियम की कमी के कारण हड्डी में फ्रैक्चर की अाशंका बढ़ जाती है। बी 12 मासांहार के अलावा हरे पत्ते वाली सब्जी में वो भी कम मात्रा मिलता है जिसके कारण बी 12 की कमी हो जाती है। इसकी कमी की जांच करा कर एनिमाय से बचा जा सकता है। इसके सप्लीमेंट भी अाते हैं।     


एड्रिनल ग्लैड के ट्यूमर की गंभीरता का पता देगा मार्कर

एसजीपीजीआई के इंडो सर्जन प्रो.अमित अग्रवाल ने बताया कि एड्रिनल ग्लैड का ट्यूमर कितना गंभीर है इसका पता केआई 67 मार्कर से लगता है। हमारे संस्थान में इस मार्कर के जांच की सुविधा है। ट्यूमर की बायोप्सी लेकर उसमें इस मार्कर को देखा जाता है । मार्कर का स्तर बढ़ा है तो यह हाई ग्रेड एड्रिनल कैंसर कहा जाता है इन मरीजों में कीमोथिरेपी अादि इलाज की दिशा अाक्रामक रूप से करनी होती है।   
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