अब सप्ताह में एक बार डायबटीज की दवा लेने से मिलेगी राहत
जितनी जरूरत उतनी ही इंसुलीन स्रावित करेगा पैक्रियाज
अब डायबटीज मरीजों को रोज-रोज एंटी डायबटिक दवा की गोली लेेने की जरूरत नहीं पडेगी। ग्लूकागन डिराइवड पेप्पटाइड( जीएलपी -1 ) एंटा गोनिस्ट की केवल एक खुराक लेनी होगी। यह दवा शरीर में ग्लूकोज के स्तर के अाधार पर प्रैक्रियाज को नियंत्रित कर उतनी ही इंसुलिन स्रावित करेगा जितने में ग्लूकोज मेटाबोलाइज हो जाए इससे शरीर में शुगर का स्तर एक स्तर से कम नहीं होगा।। इस दवा के बारे में लंबी चर्चा शनिवार को संजय गांधी पीजीआई में अायोजित इंडोक्राइन साइंस समिट में हुई। पीजीआई रोहतक के इंडोक्राइन विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश राजपूत ने कहा कि यह दवा थोडी मंहगी है लेकिन अाने वाले दिनों में सस्ती हो जाएगी। इसके अलावा सोडियम ग्लूकोज को ट्रांसपोर्टर( एसजीएलटी -2 ) दवा भी अा गयी है जो किडनी से शुगर को निकाल कर बाहर करती है। रक्त में जमा अतिरिक्त शुगर पेशाब से बाहर निकल जाता है। इससे किडनी फंक्शन भी सामान्य रहता है। शरीर का भार भी कम होता है क्योंकि यह दवा भूख को कम करती है। देखा गया है कि डायबटीज के साथ दिल की बीमारी वाले मरीजों में भी यह दवा दिल की बीमारी को कम करती है। यह दवाएं अभी रिसर्च मालीक्यूल है जिसके कारण मंहगी है । अागे यह दवाएं देश में सस्ती हो जाएगी। देश में तेजी से डायबटीज बढ़ रहा है पर लगाम लगाने के लिए खुद को जागरूक होना पडेगा। मोटापा और भोजन पर नियंत्रण से काफी हद तक बचा जा सकता है।
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एड्रिनल ग्लैड में ट्यूमर होने पर दवा से नहीं नियंत्रित होती है बीपी
एसजीपीजीआई के इंडो सर्जरी विभाग के प्रो.अमित अग्रवाल और मेडिकल विवि के प्रो.अानंद मिश्रा ने बताया कि एड्रिनल ग्लैंड में ट्यूमर होने पर एेसे हारमोन की मात्रा बढ़ जाती है जो ब्लड प्रेशर के कंट्रोलिंग में अहम रोल निभाते है। कम उम्र में ब्लड प्रेशर की परेशानी है , दो या तीन दवा के कंबीनेशन से भी नियंत्रित नहीं हो रहा है तो इसकी जांच इंडो क्राइन सर्जन से करानी चाहिए।
डायबटीज कंट्रोल करने के लिए दिया जाएगा विटामिन डी का डोज
विटामिन डी कम करता है 33 फीसदी डायबटीज की अाशंका
जागरण संवाददाता। लखनऊ
विटामिन डी देने से नहीं नुकसान
एसजीपीजीआई के प्रो.सुशील गुप्ता ने कहा कि विटामिन डी इंसुलीन का स्राव बढाता है। इंसुलीन की क्रियाशीलता को बढाता है। बी सेल को खराब होने से बचाता है। सबसे बडी बात यह कि विटामिन डी देने से कोई नुकसान नहीं है इसलिए देने में कोई हर्ज नहीं है। इस बात पर सहमति बनी है।
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