बुधवार, 1 अक्टूबर 2025

रेस्ट लेग सिंड्रोम से परेशान को चैन की नींद देगा टीईएनएस थेरेपी

 




रेस्ट लेग सिंड्रोम से परेशान को चैन की नींद देगा टीईएनएस थेरेपी


थिरेपी से  पैरों की बेचैनी, नींद की कमी और अवसाद से मिला छुटकारा


जिनमें दवा से इलाज नहीं संभव उनमें यह थिरेपी कारगर



कुमार संजय


 


रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (आरएलएस) ग्रस्त लोगों को टीईएनएस (ट्रांस क्यूटेनियस इलेक्ट्रिक नर्व स्टिमुलेशन) थिरेपी से राहत मिली है। संजय गांधी पीजीआई के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विमल कुमार पालीवाल ने लिवर सिरोसिस से ग्रस्त 25 मरीजों पर शोध कर यह साबित किया है। प्रो.पालीवाल के मुताबिक लिवर सिरोसिस से ग्रस्त  25 मरीजों को शोध में शामिल किया गया। सिरोसिस के आलावा गर्भावस्था, किडनी की बीमारी होने पर दवा से साइड इफेक्ट की आशंका रहती है ऐसे में इनमें यह थिरेपी काफी कारगर साबित होती है। थिरेपी के तहत  रोज 30 मिनट के लिए 6 सप्ताह तक  टीईएनएस थेरेपी दी गई।  पैरों की बेचैनी, नींद न आने की समस्या, और चिंता-अवसाद जैसे लक्षणों में जबरदस्त सुधार देखने को मिला।


क्या है रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम


रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (आरएलएस) एक तंत्रिका  संबंधी विकार है जिसमें व्यक्ति को पैरों में अजीब सी झुनझुनी, खिंचाव या चुभन महसूस होती है। ये लक्षण तब और बढ़ जाते हैं जब व्यक्ति विश्राम कर रहा होता है या  रात को सोते समय। मरीजों को बार-बार अपने पैर हिलाने या चलने की इच्छा होती है, जिससे नींद में खलल पड़ता है और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।


 


यह मिला परिणाम


- आरएलएस -के गंभीरता को मापने वाला स्कोर 22.28 था।  वह 1 सप्ताह के बाद घटकर 6.08।  4 सप्ताह बाद 6.7।  6 सप्ताह बाद 5.4 रह गया।


-  नींद की गुणवत्ता में सुधार हुआ- स्कोर 9.6 से घटकर 4.7 हो गया।


- जीवन की गुणवत्ता -स्कोर 73 से बढ़कर 94.9 हो गया।


 अवसाद - स्कोर 19.2 से घटकर 7.5 हो गया।


 चिंता -  स्कोर 25.4 से घटकर 8.9 हो गया


 


 क्या है टीईएनएस थेरेपी


 इसमें शरीर पर हल्के इलेक्ट्रिक करंट का इस्तेमाल होता है, जिससे नसों को आराम मिलता है।  बैटरी से संचालित एक डिवाइस के ज़रिए हल्की विद्युत तरंगें मरीजों की टांगों पर लगाई गईं।


 


क्यों होती है परेशानी


 कई बार आयरन और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, साथ ही खून में विषैले तत्वों का जमाव हो सकता है। ये सभी कारक तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं और आरएलएस जैसी समस्याओं को जन्म देते हैं।


 


 यह शोध में रहे शामिल


 न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विमल कुमार पालीवाल और डा. स्वांशु बत्रा,  हेपेटोलॉजी विभाग प्रमुख  प्रो. अमित गोयल ने  ट्रांस क्यूटेनियस इलेक्ट्रिक नर्व स्टिमुलेशन इन रेस्टलेस लेग सिंड्रोम विद सिरोसिस: ए पायलट स्टडी" शीर्षक से शोध किया जिसे एक्सपर्ट रिव्यू ऑफ मेडिकल डिवाइसेस  अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा जर्नल ने स्वीकार किया है।

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