पीजीआई ने खतरनाक और रेयर बैक्टीरिया का लगाया पता
कमजोर प्रतिरोधक क्षमता में वाले लोगों में अधिक इस बैक्टीरिया के संक्रमण की आशंका
वाइस-सेला बैक्टीरिया है जानलेवा संक्रमण लेकिन जल्दी पहचान और सही इलाज से मिल सकता है राहत
कुमार संजय
संजय गांधी गांधी पीजीआई में 13 ऐसे मरीज मिले, जिनमें एक खतरनाक बैक्टीरिया उनके जीवन के लिए गंभीर खतरा बन गया था। इस बैक्टीरिया का नाम है वाइस-सेला। इस बैक्टीरिया का पता लगाने और इलाज की दिशा तय करने में पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विशेषज्ञ टीम ने सफलता हासिल की।
शोध विज्ञानियों का कहना है कि अगर किसी मरीज में इस बैक्टीरिया के संक्रमण के संकेत या लक्षण दिखाई दें, तो संबंधित परीक्षण कराना बेहद जरूरी है। जल्दी पहचान और सही इलाज मिलने पर मरीज की जान बचाई जा सकती है। यह बैक्टीरिया आम तौर पर स्वस्थ लोगों में समस्या नहीं करता, लेकिन कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीज, लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती लोग, कैथेटर का उपयोग करने वाले या कीमोथेरापी करवा रहे मरीजों में गंभीर संक्रमण पैदा कर सकता है।
संक्रमण कैसे होता है
वाइस-सेला बैक्टीरिया अवसरवादी होते हैं। यह आम तौर पर स्वस्थ लोगों में समस्या नहीं करते, लेकिन जोखिम वाले मरीजों में गंभीर संक्रमण पैदा कर सकते हैं। यह बैक्टीरिया रक्त या मेरुरज्जु द्रव में पाया जाता है। जल्दी पहचान और सही दवा से इलाज करना बेहद जरूरी है।
लक्षण
पेट या सीने में दर्द और गांठ
सांस लेने में तकलीफ
बार-बार खांसी या खून आना
थकान और कमजोरी
बुखार (कुछ मामलों में)
बचाव और इलाज
अस्पताल में भर्ती मरीजों की निगरानी
कैथेटर और उपकरणों की साफ-सफाई
कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों का विशेष ध्यान
जल्दी पहचान और उचित दवा
कारगर दवाएँ: अध्ययन में जिन दवाओं ने बैक्टीरिया को मारने में असर दिखाया और मरीजों के इलाज में काम आईं, वे हैं: अमिकासिन, डैप्टोमाइसिन, अमोक्सिसिल्लिन-क्लैवुलनेट, मीनोसाइक्लिन और लाइनजोलिड।
शोधकर्ता
संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. असीमा जामवाल, डॉ. गर्लिन वर्गीज़, डॉ. दीपिका सरावत, डॉ. निधि तेजन, डॉ. संगराम सिंह पटेल और डॉ. चिन्मय साहू ने “तीन साल के अवलोकन अध्ययन में वाइस-सेला प्रजातियों का वर्णन – एक उभरता खतरा” विषय पर शोद किया जिसे अमरेकिन जर्नल आप ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन ने स्वीकार किया है।
वाइस-सेला बैक्टीरिया दुर्लभ लेकिन गंभीर संक्रमण पैदा कर सकते हैं। खासकर अस्पताल में भर्ती और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग जोखिम में रहते हैं। पीजीआई के विशेषज्ञों की तेजी और सही इलाज से मरीजों की जान बचाई जा सकती है,,,,,प्रो चिन्मय साहू

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