एसजीपीजीआईएमएस ने शुरू किया अनूठा अभियान
ट्रॉमा पीड़ितों की जान बचाने के साथ विकलांगता से भी बचाएंगे 'स्वास्थ्यदूत'
कुमार संजय
संजय गांधी पीजीआई गंभीर रूप से घायल मरीजों की जान बचाने और उन्हें दीर्घकालिक विकलांगता से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से संस्थान ने एक अनूठा अभियान शुरू किया है। इस पहल के अंतर्गत सीमित संसाधनों में भी तुरंत और प्रभावी इलाज कर सकने वाले 'ट्रॉमा केयर दूतों' को तैयार किया जा रहा है, ताकि दूर-दराज़ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जीवन रक्षक देखभाल मिल सके। इस दिशा में पहला कदम हाल ही में आयोजित प्राइमरी ट्रॉमा केयर फाउंडेशन कोर्स के माध्यम से उठाया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम यूनाइटेड किंगडम की संस्था द्वारा संचालित किया जा रहा है। इसका नेतृत्व डॉ. जीन फ्रॉसार्ड ने किया, जो लंदन के एक प्रमुख अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक हैं। संस्थान के प्रो संदीप साहू (कोर्स संयोजक) सहित डॉ. अमित कुमार (हड्डी रोग विशेषज्ञ), डॉ. अमित कुमार सिंह (ट्रॉमा सर्जन), डॉ. प्रतीक सिंह बायस, डॉ. सुरुचि (संज्ञाहरण विशेषज्ञ), तथा किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ की डॉ. हेमलता शामिल है। इसमें संवाद, चर्चा, कार्यशालाएं और अभ्यास सत्र शामिल थे। प्रतिभागियों ने स्वयं अभ्यास करके सीखा कि कैसे वायुमार्ग की देखभाल करें, छाती में नलियों को डालना सीखें और गंभीर चिकित्सा समस्याओं का तत्काल समाधान करें।
प्रो संदीप साहू ने बताया, "यह कोर्स छोटे अस्पतालों और सीमित संसाधनों में काम करने वाले चिकित्सकों के लिए बहुत उपयोगी है। यदि प्राथमिक उपचार सही समय पर दिया जाए, तो जान बचाने के साथ विकलांगता से भी बचा जा सकता है। पहल केवल एक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि एक जन-स्वास्थ्य आंदोलन है। यह शहरों की सीमाओं को पार कर गांव, कस्बों और सीमांत इलाकों तक जीवनरक्षक जानकारी और कौशल पहुंचाने का एक सार्थक प्रयास है। इस तरह प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी न केवल जीवन बचाएंगे, बल्कि असमय विकलांगता से भी हजारों लोगों को बचा सकेंगे।
जान और अंगों को बचाने की मुहिम
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है — जान बचाना और विकलांगता से बचाना। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया है जहां चिकित्सा संसाधन सीमित हैं। कोर्स में प्रतिभागियों को यह सिखाया गया कि कैसे वे कम साधनों में भी घायल मरीज की प्रारंभिक देखभाल कर सकें, उसे स्थिर कर सकें और समय रहते बड़े अस्पताल में रेफर कर सकें।
इस प्रशिक्षण का मूल आधार पाँच अहम चरणों पर है
वायुमार्ग को सुरक्षित करना
सांस की निगरानी और सहयोग
रक्तसंचार की स्थिति को नियंत्रित करना
तंत्रिका तंत्र की स्थिति का मूल्यांकन
पूरे शरीर की जाँच कर अन्य चोटों की पहचान करना
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त
यह कोर्स वर्ष 1996 से अब तक 87 देशों में अपनाया जा चुका है और यह लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर चुका है। इस प्रशिक्षण के ज़रिए दुनिया भर में स्वास्थ्यकर्मियों को एक सरल, व्यावहारिक और प्रभावशाली तरीका सिखाया गया है, जिससे वे ट्रॉमा के शिकार मरीजों को समय रहते सही मदद दे सकें।

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