रविवार, 26 अक्टूबर 2025

​माँ में थायरॉइड हार्मोन की कमी गर्भस्थ शिशु के जीवन पर खतरा

 

 ​माँ में थायरॉइड हार्मोन की कमी गर्भस्थ शिशु के जीवन पर खतरा

​तीन गुना बढ़ जाती है साँस लेने की तकलीफ की आशंका

​समय से पहले प्रसव और नवजात पर गंभीर असर

​– समय पर थायरॉइड जाँच और इलाज से नवजात की सेहत में सुधार संभव

​कुमार संजय

​नवजात शिशुओं की सेहत को लेकर एक नया अध्ययन चेतावनी दे रहा है। शोध में खुलासा हुआ है कि गर्भवती महिलाओं में थायरॉइड हार्मोन की कमी, यानी हाइपोथायरॉइडिज़्म, समय से पहले प्रसव (प्रीटर्म लेबर) और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती है। ऐसे बच्चों में साँस लेने में तकलीफ (आरडीएस) और नियोनेटल आईसीयू (एनआईसीयू) में भर्ती होने की संभावना सामान्य बच्चों की तुलना में तीन गुना तक अधिक पाई गई। यह तथ्य किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में किए गए 509 गर्भवती महिलाओं पर शोध के बाद सामने आया है। शोध में इनमें 69 महिलाएँ हाइपोथायरॉइड और 431 सामान्य थायरॉइड वाली थीं। माताओं की थायरॉइड जाँच टीएसएच, टी3, टी4 और एंटी-टीपीओ एंटीबॉडी के जरिए की गई। नवजात बच्चों के स्वास्थ्य में जन्म का वजन, गर्भकाल, साँस लेने में तकलीफ और कॉर्ड ब्लड टीएसएच जैसे पैरामीटर देखे गए।


​ शिशु रहे सुरक्षित


​शोध विज्ञानियों का कहना है कि गर्भावस्था में थायरॉइड की समय पर जाँच और उपचार बेहद ज़रूरी है। इससे न केवल समयपूर्व प्रसव रोका जा सकता है, बल्कि नवजात शिशुओं में साँस लेने की तकलीफ और एनआईसीयू में भर्ती की ज़रूरत भी काफी हद तक घटाई जा सकती है।


​ मुख्य नतीजे


​हाइपोथायरॉइड ग्रस्त माताओं में समय से पहले प्रसव 28.9% मामलों में हुआ, जबकि सामान्य माताओं में यह केवल 9.5% था।

​हाइपोथायरॉइड ग्रस्त माताओं के बच्चों में साँस लेने में तकलीफ (रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) के मामले 21.7% पाए गए, जबकि सामान्य समूह में यह केवल 6.7% था।

​एनआईसीयू में भर्ती की ज़रूरत 30.4% हाइपोथायरॉइड माताओं के बच्चों में रही, जबकि सामान्य समूह में यह सिर्फ 10% थी।

​नवजात बच्चों के अंबिलिकल कॉर्ड ब्लड में टीएसएच स्तर काफी बढ़ा हुआ पाया गया, जो उनके एंडोक्राइन असंतुलन को दर्शाता है।


 इन्होंने किया शोध



​किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के गायनेकोलॉजी और नवजात शिशु विभाग के डॉ. प्रतिष्ठा दुबे, डॉ. कंचन सिंह, डॉ. सुमन सिंह, डॉ. पुष्पलता शंखवार और डॉ. मंजू लता वर्मा ने "इफेक्ट ऑफ मैटरनल हाइपोथायरॉइडिज़्म ऑन प्री टर्म लेबर एंड नियोनेटल आउटकम" विषय पर शोध किया, जिसे एनल्स ऑफ अफ्रीकन मेडिसिन  ने स्वीकार किया।

: क्यों होती है हार्मोन की कमी 


गर्भावस्था में हाइपोथायरॉइडिज़्म का मुख्य कारण हाशिमोटो थायरॉइडाइटिस और आयोडीन की कमी है। यह कमी शिशु के मस्तिष्क विकास को प्रभावित करती है, जिससे समयपूर्व प्रसव और साँस की तकलीफ का खतरा बढ़ता है। इसका इलाज लेवोथायरोक्सिन दवा से होता है, जिसकी खुराक नियमित जाँच से समायोजित की जाती है।

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