साधारण खून की जांच से दिल की बीमारी की गंभीरता जानना संभव
600 रुपये में मिल सकेगा शुरुआती संकेत
कुमार संजय
संजय गांधी पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग में हुए एक नए शोध में साबित हुआ है कि एंजियोग्राफी या सीटी-स्कैन से पहले ही मात्र 600 से 700 रुपये में साधारण खून की जांच से दिल की बीमारी (कोरोनरी आर्टरी डिजीज) की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है।
इस शोध के मुताबिक, कुछ सामान्य ब्लड पैरामीटर—मीन प्लेटलेट वॉल्यूम (एमपीवी), लाइपोप्रोटीन-ए, ट्राइग्लिसराइड/एचडीएल रेशियो और मोनोसाइट/एचडीएल रेशियो—से यह आकलन किया जा सकता है कि बीमारी कितनी गंभीर है। यह तरीका डॉक्टरों को यह समझने में मदद करेगा कि किस मरीज को तुरंत इलाज या एंजियोग्राफी की जरूरत है और कौन दवाओं से ठीक हो सकता है। इससे समय, पैसा और जटिल जांचों से जुड़ा जोखिम—तीनों से बचाव होगा।
ऐसे हुआ शोध
अध्ययन में 200 मरीजों को शामिल किया गया, जिनमें कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लक्षण थे। उनकी बीमारी की गंभीरता को मापने के लिए ‘सिनटैक्स स्कोर’ का इस्तेमाल किया गया। परिणामों में पाया गया कि जिन मरीजों में मीन प्लेटलेट वॉल्यूम और लाइपोप्रोटीन-ए का स्तर अधिक था, उनमें बीमारी ज्यादा गंभीर थी। वहीं जिनके मोनोसाइट/एचडीएल और ट्राइग्लिसराइड/एचडीएल रेशियो बढ़े हुए थे, उनमें बीमारी मध्यम स्तर की पाई गई। यानी सिर्फ खून की जांच से ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बीमारी किस स्तर पर है।
शोध में शामिल विशेषज्ञ
यह अध्ययन कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. प्रशांत गौतम, प्रो. सत्येन्द्र तिवारी, डॉ. हर्षित खरे, डॉ. अर्शद नज़ीर, डॉ. अर्पिता कथेरिया, प्रो. अंकित कुमार साहू, प्रो. रूपाली खन्ना, प्रो. नवीन गर्ग और प्रो. आदित्य कपूर ने किया। शोध को इंडियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
शोध के लाभ
महंगे टेस्ट से पहले एक भरोसेमंद शुरुआती जांच
सही समय पर इलाज से मरीज की जान बचने की संभावना बढ़ेगी
नॉर्मल लिपिड प्रोफाइल वाले मरीजों में भी छिपा जोखिम पहचानना संभव
ग्रामीण या छोटे शहरों में भी शुरुआती जांच आसानी से हो सकेगी
क्या है कोरोनरी आर्टरी डिजीज
यह हृदय की धमनियों में फैट या कोलेस्ट्रॉल जमने से होती है, जिससे रक्त प्रवाह रुकता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है। समय रहते पहचान और इलाज मिलने पर इस बीमारी से बचाव संभव है।

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