कार्डियोवर्टर-डिफाइब्रिलेटर हाई रिस्क के दिल को देगा जीवन
सार्वजनिक स्थानों पर स्वचालित बाहरी डिफिब्रिलेटर लगाने की सलाह
बत्रा अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आर. डी. यादवे ने बताया कि अचानक हृदय का काम करना बंद करना ( सडेन कार्डियक डेथ-एसीडी) मौत का एक प्रमुख कारण है। अचानक मृत्यु के मामलों मे सडेन कार्डियक डेथ या हृदय संबंधी 63 फीसदी होता है।
एससीडी अक्सर बिना किसी चेतावनी के होती है। एससीडी के लक्षणों में अचानक गिरना, नाड़ी का न मिलना और सांस न आना शामिल हैं। इन स्थितियों में त्वरित चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है जिसमें डिफाइब्रिलेशन और सीपीआर की महत्वपूर्ण भूमिका है। सार्वजनिक स्थानों पर स्वचालित बाहरी डिफिब्रिलेटर (एईडी) की उपलब्धता होनी चाहिए। डॉ. यादवे ने उच्च जोखिम वाले मरीजों के लिए इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डिफाइब्रिलेटर (आईसीडी) लगना चाहिए। इससे हार्ट को बंद से बचाया जा सकता है। यह उपकरण वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया या फाइब्रिलेशन के मामलों में मृत्यु दर को कम करने में कारगर साबित हुए हैं। वे आईसीडी तकनीक में हुए नए बदलावों के बारे में बताया कि कम जटिलताओं के साथ अधिक प्रभावकारी हैं। एससीडी की रोकथाम के लिए बचपन से ही स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए । वे अस्पताल के बाहर कार्डियक अरेस्ट के मामलों में एईडी पहुंचाने के लिए ड्रोन के उपयोग जैसे नए समाधानों पर भी चर्चा किए। स्वास्थ्य देखभाल में लगे लोगो को एससीडी से निपटने के लिए आवश्यक उपकरण और जानकारी देने से मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
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