जवानी में होने वाली डायबिटीज अधिक खतरनाक
पीजीआई ने 800 लोगों पर शोध के बात निकाला तथ्य
जवान लोगों में इंसुलिन बनाने वाला सेल तेजी से होता है खराब
कुमार संजय। लखनऊ
जवानी में होने वाली डायबिटीज अधिक उम्र के लोगों के मुकाबले अधिक खतरनाक है। संजय गांधी पीजीआई के इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के चिकित्सा विज्ञानियो ने टाइप टू डायबिटीज ग्रस्त 800 लोगों पर शोध के बाद यह जानकारी हासिल की है। 40 से कम उम्र के पहले डायबिटीज ग्रस्त 400 लोग शामिल है। प्रो. सुभाष यादव और डा. आयुषी सिंघल के मुताबिक जवानों में बीटा सेल जो इंसुलिन बनाता है वह अधिक उम्र के लोगों को मुकाबले पांच गुना अधिक तेजी से खराब होता है जिसके कारण इनमें डायबिटीज अधिक उग्र होता है। युवा वर्ग के ऊपर काम की जिम्मेदारी के साथ तमाम जिम्मेदारी होती है जिसके कारण यह शुगर को नियंत्रित करने पर कम ध्यान देते है। सुगर लंबे समय तक नियंत्रित न होने के कारण इनमें डायबिटीज के कारण सूक्ष्म नसों ( माइक्रो वैस्कुलर ) की कोई परेशानी 69 फीसदी में देखी गयी है। सूक्ष्म नसों में परेशानी के कारण नेफ्रोपैथी( किडनी की परेशानी), रेटिनोपैथी( आंख की परेशानी) , न्यूरोपैथी ( नर्व ) की परेशानी होती है।
40 से कम वाले लोगों में जल्दी इंसुलिन
शोध में देखा गया कि 15 साल तक डायबिटीज के साथ जीवन गुजारने वाले 40 से कम में इंसुलिन 62 फीसदी में इंसुलिन शुरू करना पड़ा जबकि अधिक उम्र के केवल 41 फीसदी लोगों में इंसुलिन शुरू करना पड़ा। 40 से कम वालों में मेटाबोलिक सिंड्रोम 85 फीसदी लोगों में देखने को मिली जबकि अधिक उम्र के 88 फीसदी लोगों में देखने को मिली । 40 से कम उम्र में मेटाबोलिक सिंड्रोम और डायबिटीज के बीच सीधा संबंध है। 40 से कम उम्र के 80.1 फीसदी में मोटापा ( बीएमआई 23 से अधिक) , तोंद 70.8 फीसदी में देखने को मिला।
दिल को बचाने वाले कोलेस्ट्रॉल युवा डायबिटीज में कम
इनमें ट्राइग्लिसराइड जो दिल की बीमारी का कारण साबित होता है 47 फीसदी में और अधिक उम्र 38 फीसदी में देखने को मिला। बैड कोलेस्ट्रॉल एलडीएल दोनों वर्ग को 43 फीसदी में देखने को मिला। इन तमाम शोध के आंकड़ों से साबित होता है युवा अवस्था में होने वाला डायबटीज अधिक खतरनाक है।
कम कर सकते है खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके प्रकोप से बचने के लिए रेगुलर फालोअप, समय से दवा लेना, भोजन पर नियंत्रण और लाइफ स्टाइल में बदवा जरूरी है। इस शोध को इंडोक्राइनोलॉजी बिरादरी के लोगों ने स्वीकार किया है। इस शोध को हाल में पीजाई में आयोजित रिसर्च शो केस में भी ऱखा गया था।
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