नई दवाएं हार्ट फेल्योर मरीज की कम कर सकती है परेशानी
एनटी-प्रोबीएनपी बायो मार्कर से जल्दी पकड़ में आता है हार्ट फ्लोयर
गाइड लाइन डायरेक्टेड मेडिकल थिरेपी हार्ट फेल्योर मरीजो दे रही है राहत
संजय गांधी पीजीआई की हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. रूपाली खन्ना ने बताया कि हार्ट फेल्योर (एचएफ) बढ़ती उम्र की आबादी और इसकी जटिल पैथॉफिजियोलॉजी के कारण चुनौती है। गाइडलाइन डायरेक्टेड मेडिकल थेरेपी से मरीजों को काफी आराम मिल रहा है। डायबिटीज के इलाज में काम आने वाला रसायन सोडियम-ग्लूकोज को ट्रांसपोर्टर -2 अवरोधक (एसजीएलटी2आई), शरीर में पानी मात्रा कम करने के साथ रक्त प्रवाह सामान्य करने वाला रसायन एंजियोटेंसिन रिसेप्टर-नेप्रैलीसिन अवरोधक (एआरएनआई), और गैर-स्टेरायडल मिनरल कॉर्टिकॉइड रिसेप्टर विरोधी (एमआरए) शामिल हैं। हृदय विफलता के रोगियों में अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर में लगातार कमी देखी गई है। ये दवाएँ न केवल हृदय संबंधी परिणामों में सुधार करती हैं बल्कि मधुमेह और किडनी रोग जैसी बीमारियों के प्रबंधन में भी सहायक होती हैं। यह दवाएं अस्पताल में भर्ती होने की दर को कम कर सकते हैं। हृदय विफलता(हार्ट फेल्योर)की घटनाओं और हृदय संबंधी मृत्यु की दर में कमी देखी गई।नवीन उपचार विधियाँ में इंट्रा वेनस आयरन थेरेपी कारगर साबित हो रही है। प्रो. रूपाली खन्ना ने बताया कि आयरन की कमी और रोगियों में कार्या क्षमता और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर रही हैं। इसके साथ-साथ डिवाइस-आधारित उपचारों में भी महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है। कार्डियक रीसिंक्रनाइज़ेशन थेरेपी (सीआरटी), इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (आईसीडी) और बाएं वेंट्रिकुलर सहायता उपकरण (एलवीएडी) जैसे उन्नत तकनीकी उपकरणों से रोगियों को बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। ब्राकोरीसेप्टर एक्टिवेशन थिरेपी और पल्मोनरी प्रेशर मॉनिटरिंग से हृदय विफलता वाले रोगियों के इलाज में सुविधा मिल रही है । एनटी-प्रोबीएनपी बायोमार्कर और कार्डियक एमआरआई जैसे इमेजिंग तकनीकों के माध्यम से हृदय विफलता की डायग्नोसिस और अधिक सटीक हो रही है। समय पर उपचार की शुरुआत हो सकती है और रोगियों की जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
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