शुक्रवार, 6 दिसंबर 2024

9.6 महिलाओं गर्भवती में हृदय रोग की आशंका- बढ़ती मातृ आयु, प्रतिकूल जीवनशैली और पहले से मौजूद हृदय संबंधी है बडे कारण






 गायनी-कार्डियो विशेषज्ञता की जरूरत

बढ़ती मातृ आयुप्रतिकूल जीवनशैली और पहले से मौजूद हृदय संबंधी है बडे कारण 

9.6 महिलाओं  गर्भवती में हृदय रोग की आशंका


भारत में हृदय रोग और गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं, इसलिए मद्रास मेडिकल कॉलेज के डॉ. जस्टिन पॉल ने देश में कार्डियो-प्रसूति (कार्डियो गायनी) विशेषज्ञता स्थापित करने की बात कही है। उनका कहना है कि मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में हृदय रोग एक बड़ा कारण बन रहा है। 2017 तक, भारत में हर साल करीब 35,000 मातृ मृत्यु होती थीं, और इनमें हृदय रोग भी एक बड़ा कारण है।

विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती उम्र, खराब जीवनशैली और पहले से हृदय रोग होने के कारण गर्भवती महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ रहा है। तमिलनाडु के आंकड़ों के मुताबिक, 2022-2023 में राज्य में मातृ मृत्यु दर में हृदय रोगों की वजह से 9.6% मौतें हुईं।

संजय गांधी पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि वाल्वुलर और जन्मजात हृदय रोग, पल्मोनरी उच्च रक्तचाप और हृदय फेल्योर जैसी समस्याएं विशेष रूप से निम्न और मध्य आय वाले देशों में महिलाओं के लिए चिंता का कारण बन रही हैं। इसको सुधारने के लिए, चिकित्सा पाठ्यक्रम में कार्डियो-प्रसूति विज्ञान को जोड़ने और हृदय रोग विशेषज्ञों, प्रसूति विशेषज्ञों, एनेस्थेटिस्टों और नियोनेटोलाजिस्टों के बीच बेहतर सहयोग की जरूरत है।

इस विषय पर कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीएसआईI) और फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया (फग्सीI) ने मिलकर एक सम्मेलन आयोजित किया। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कार्डियो-प्रसूति विशेषज्ञता को बढ़ावा दिया जाए, तो इससे हृदय रोग से पीड़ित महिलाओं के लिए सुरक्षित गर्भावस्था सुनिश्चित की जा सकती है और कई जानें बचाई जा सकती हैं।


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