दो घंटे में निदेशक ने एक्टीवेट कराया वार्ड
रात 12 बजे तक निदेशक खुद करते रहे निगरानी
जागरण संवाददाता। लखनऊ
संजय गांधी पीजीआइ के निदेशक प्रो.राकेश कपूर को जैसे ही घटना की जानकारी मिली तुरंत स्वाइन फ्लू वार्ड को एक्टीवेट कराने के लिए काम शुरू कर दिए। रात 12 बजे तक वह खदु वार्ड को एक्टीवेट कराने के लिए व्यवस्था को देखते रहे। वार्ड को एक्टीवेट कराने के लिए सबसे पहले कई विभागों के संकाय सदस्यों , नर्सेज, पेशेंट हेल्पर की टीम बनायी सभी विभागों से स्टाफ लिया गया। इसके बाद उपकरणों को बेड के साथ फिट किया गया। एचअारएफ से अावश्यक दवाएं , ड्रेसिंग के लिए समान सहित कई व्यवस्था की गयी। एचअारएफ के इंचार्ज अारए यादव, अार के शर्मा , एपीअारओ एपी अोझा, पीअारअो अाशुतोष सोती, एकाउंट के दीप चंद , डिप्टी एमएस सुनील शिशु, अस्पताल प्रशासन के प्रो. राजेश हर्षवर्धन सहित कई अधिकारी हर स्तर रात दो बजे सारे इंतजाम पूरे किए। पल्मोनरी मेडिसिन के हेड प्रो.अालोक नाथ, प्लास्टिक सर्जरी के प्रो. अंकुर भटनागर ने वार्ड में क्या जरूरत पडेगी पूरा मैनेज किया। निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने बताया कि वार्ड बन कर तैयार था लेकिन एक्टीवेट नहीं था क्यों कि स्वाइन फ्लू का सीजन खत्म हो गया था। इस अापदा को देखते हुए सबके सहयोग से दो घंटे में वार्ड एक्टीवेट किया इस वार्ड में 11 बेड है।
बर्न वार्ड में तब्दील हो गया स्वाइिन फ्लू वार्ड
प्लास्टिक सर्जरी के प्रो. अंकुर भटनागर और प्रो. अनुपमा ने बताया कि हम लोगों ने वार्ड को बर्न वार्ड में तब्दील कर दिया है। अब सबसे बडी चुनौती इंफेक्शन रोकना है क्योंकि सभी मरीजों में डीप बर्न है जिसके कारण दो से तीन दिन बाद इंफेक्शन की अाशंका है। सभी 30 से 40 फीसदी बर्न जो क्रिटिकल बर्न माना जाता है। हम लोगों ने तय किया है कि वार्ड में ड्रेसिंग नहीं करेंगे वार्ड से लगे एक एरिया को ड्रेसिंग बाथ बनाया जाएगा इससे वार्ड में इंफेक्शन की अाशंका कम होगी। फिलहाल वार्ड में पांच मरीज भर्ती है
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