सोमवार, 20 नवंबर 2017

पीजीआइ बना उत्तर भारत का तीसरा बढिया अस्पताल

कम उम्र में ही पीजीआइ करा रहा है बडो से मुकाबला

पीजीआइ बना उत्तर भारत का तीसरा बढिया अस्पताल
एम्स दिल्ली, पीजीआइ चंडीगढ के बाद पीजीआइ लखनऊ ने दिखाया दम 
न्यूरोलाजी, पल्मोनरी, गैस्ट्रो, कार्डियोडायबटिक केयर   में इलाज की गुणवत्ता की अाधार पर हुई रैंकिंग

                     


कुमार संजय। लखनऊ
संजय गांधी पीजीआइ कम उम्र में ही उत्तर भारत के तीसरा अस्पताल बन गया है जहां पर इलाज की गुणवत्ता इंटरनेशनल लेवल की है। पहले नंबर पर एम्स दिल्ली और दूसरे नंबर पर पीजीआई चंडीगढ है जो काफी पुराने संस्थान है। यह दोनों संस्थान केंद्र सरकार के अधीन है। इन संस्थानों में संकाय सदस्यों की संख्या  और विभाग भी अधिक है। एसजीपीजीआइ को यह स्थान इसी सप्ताह द वीक ने देश स्तर पर सर्वे के बाद किया है। इसमें लखनऊ के अलावा दिल्ली, चंडीगढ, भोपाल सहित कई शहरों से अार्थोपैडिक, कार्डियलोजी, गायनकोलाजी, डायबटीज केयर, बाल रोग, अाप्थेलमोलाजी, न्यूरोलाजी, गैस्ट्रोइंट्रोलाजी, अांकोलाजी, पल्मोनरी , जनरल मेडिसिन विशेषज्ञता में इलाज की सुविधा पर सर्वे किया गया । सर्वे में न्यूरोलाजी के क्षेत्र में सरकारी संस्थानों में चौथा स्थान मिला है पहले नंबर पर एम्स दिल्ली, दूसरे स्थान निमहांस बंगलौर, तीसरे स्थान पर पीजीआई चंडीगढ और चौथे स्थान पर पीजीआइ लखनऊ है । निजि और सरकारी मिला कर न्यीरोलाजी का दसवां स्थान है। गैस्ट्रोइंट्रोलाजी के इलाज में सरकारी संस्थानों में तीसरा स्थान है। कार्डियोलाजी में सरकारी संस्थानों में तीसरे स्थान पर है। डायबटिक केयर के मामले में सरकारी संस्थानों में पीजीआइ लखनऊ तीसरे नंबर पर है। पल्मोनरी मेडिसिन के मामले में यह विभाग संस्थान में एक दम नया है।   इसके बाद विभाग के स्थापना के सात साल में ही देश में सरकारी संस्थानों में चौथा रैंक हासिल किया है। निजि और सरकारी मिला कर इस विभाग को सातवां रैंक मिला है। इस विशेषज्ञता में किंग जार्ज मेडिकल विवि को भी 15 रैंक मिला है। 


हमारा संस्थान नया है । एम्स दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ हमसे पहले के संस्थान है । हमारे पास कई विशेषज्ञता नहीं है जिन के अाधार पर सर्वे हुअा उसके अाधार पर कुछ ही विभाग यहां है जिसके अाधार पर उत्तर भारत में तीसरी रैंक मिली है। यह हमारे संस्थान के संकाय सदस्यों और दक्ष पैरामेडिकल स्टाफ के मेहनत का फल है....निदेशक प्रो.राकेश कपूर    


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