पेट में अच्छे बैक्टीरिया की कमी से बन सकते है बीमारी का टोकरा
सीजेरियन से पैदा होने वाले लोगो के पेट में कम होते है अच्छे बैक्टीरिया
पेट में अच्छे बैक्टीरिया की कमी से दिमाग, पेट, मोटापा सहित कई परेशानी की आशंका
जागरणसंवाददाता। लखनऊ
यदि आप का जंम सीजेरियन ( आपरेशन) के जरिए हुआ है तो आप में पेट के साथ दिल, डायबटीज. मोटापे, शारीरिक विकास में कमी की परेशानी सामान्य प्रसव के जंम लेने वाले लोगों के मुकाबले अधिक होगी। वैज्ञानिकों ने देखा है कि आपरेशन के जरिए जंम लेने वाले लोगों के गट बायोटा ( पेट में अच्छे बैक्टीरिया) की संख्या कम होती क्योंकि वह मां से अच्छे बैक्टीरिया ग्रहण नहीं कर पाते है। सामान्य प्रसव से जंम लेने वाले लोग जंम लेने समय प्रसव के दौरान प्रसव मार्ग से अच्छे बैक्टारिया ग्रहण कर लेते हैं। इसे नए तथ्य का खुलासा फंक्शन गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल डिजीजीस( फिगिड) में विशेषज्ञों ने किया । संजय गांधी पीजीआइ के गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट प्रो.यूसी घोषाल और अमेरिका के प्रो. डोगलेश ड्रासमैन ने बताया कि हम लोगों ने सीजेरियन और सामान्य प्रसव से जंम लेने वाले में गट बैक्टीरिया का अध्ययन किया तो देखा इस तथ्य का खुलासा हुआ। यह भी बताया कि उम्र बढने के साथ अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढाना संभव नहीं होता क्योंकि शरी का इम्यून सिस्टम इसे स्वीकार नहीं करता। इस लिए सीजेरियन से जंम लेने वाले लोगों को प्रो बायोटिक युक्त अहारा शामिल करना चाहिए।
गड़बडा जाता है बैक्टीरिया का अनुपात
प्रो. घोषाल ने बताया कि पेट में दो तरह के बैक्टीरिया होते है । कुछ अच्छे होते तो कुछ खराब होते है दोनों के बीच अनुपात रहता है। पेट में हमेशा अच्छे बैक्टीरिया की संख्या अदिक होनी चाहिए । बताया कि फर्मी क्यूट अच्छा बैक्टीरिया है। बैक्टीरायड, क्लोस्ट्रीडिया यह खराब बैक्टीरिया है। देखा गया है कि जिनमें अच्छे बैक्टीरिया की संख्या कम होती है उनमें पेट के भीतरी अंगों के कार्य प्रणाली वाली परेशानी अधिक होती है। पेट में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढाने के लिए रोज दही का सेवन करना चाहिए। इससे भी फायदा न मिले तो प्रो बायोटिक दवाएं दी जाती है।
चरक सूत्र को माडर्न मेडिकल साइंस ने किया स्वीकार
प्रो. घोषाल ने कहा कि आर्युवेद में कहा गया है कि पित्त , बायु और कफ ही सारी बीमारी की जड़ है। इस चरक सूत्र को माडर्न मेडिकल साइंस ने स्वीकार किया है। कहा कि इसके कारण पेट. दिल, एलर्जी, दिमाग की परेशानी होती है। इस लिए इन तीनों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
पेट के भीतरी अंगों की चाल में गड़बडी के कारण हो सकता है डिस्पेप्सिया
संजय गांधी पीजाआइ के पेट रोग विशेषज्ञ प्रो. अभय वर्मा ने बताया कि फंक्शनल बावेल डिजीज में कब्ज. डिस्पेप्सिया और आईबीएस तीन तरह की परेशानी होती है। बताया कि हमारी अपीडी में आने वाले 30 से 40 फीसदी लोगों में इसकी परेशानी रहती है । 20 से 25 फीसदी लोगो में डिस्पेप्सिया के साथ कब्ज की परेशानी तो इतने ही लोगों में तीनो परेशानी रहती है। डिस्पेप्सिया में पेट में भारीपन, पेट में जलन, गैस बनने की परेशानी होती है। यदि यह परेशानी 6 महीने से अधिक समय तक है यह डिस्पेप्सिया की परेशानी होती है।
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