बुधवार, 8 नवंबर 2017

उंचाहार घटने के शिकार.....जग रही है उम्मीद की किरण

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.....जग रही है उम्मीद की किरण
उंचाहार की घटना के शिकार पांचों  फिलहाल इंफेक्शन से  मुक्त 

डीप बर्न के कारण सबसे खतरा था संक्रमण

कुमार संजय । लखनऊ

ऊंचाहार एनटीपीसी व्यालर फटने की घटना के शिकार परिजनों की दुअा और संस्थान के डाक्टरों , पैरामेडिकल स्टाफ की मेहनत से इनके जिंदगी की उम्मीद की किरण दिख रही है। इन पांचो मरीजों पर सबसे बडा खतरा इंफेक्शन का था जिससे फिलहाल यब बचे हुए हैं। इंफेक्शन से बचाने के लिए टीम कई स्तर पर कई तरह की कोशिश कर रही है।  स्पेशल वार्ड में भर्ती मरीजों को बचाने के लिए प्लास्टिक सर्जन प्रो. अंकुर भटनागर और उनके साथी दूसरे विभाग के विशेषज्ञों से भी सलाह ले रहे हैं। संस्थान के निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने कहा कि इन मरीजों को बचाने के लिए हर स्तर पर हर संभव कोशिश हो रही है। कई विभाग के विशेषज्ञों की टीम है जिसमें पैरामेडिकल , सकाय सदस्य शामिल है। फिलहार सभी मरीज की हालत स्थिर है। स्पेशल वार्ड में    उमा शंकर पाण्डेय(28), हरी कृष्न(27) , श्री राम( 30) , राकेश सिंह (35) किशन मालवीय (25) स्पेशल वार्ड में भर्ती है। प्रो. अंकुर भटनागर  और सहयोगी  अनुपमा ने बताया कि हम लोगों ने सपेशल  वार्ड को बर्न वार्ड  में तब्दील कर दिया है। सबसे बडी चुनौती इंफेक्शन रोकना था  क्योंकि सभी मरीजों में डीप बर्न है जिसके कारण दो से तीन दिन बाद इंफेक्शन की अाशंका थी।  सभी 30 से 40 फीसदी बर्न है। जिसे क्रिटिकल बर्न माना जाता है। हम लोगों ने तय किया है कि वार्ड में ड्रेसिंग नहीं करेंगे वार्ड से लगे एक एरिया को ड्रेसिंग बाथ बनाया जाएगा इससे वार्ड में इंफेक्शन की अाशंका कम होगी। योजना फिलहाल सफल रही है सभी मरीज स्टेबिल किसी मरीज में बुखार नहीं है। बर्न भी सूख रहा है लेकिन अभी अागे क्या हो सकता इस बारे में कहना संभव नहीं है।



काम आ गया स्वाइन फ्लू के लिए बना नया वार्ड


संजय गांधी पीजीआइ के निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने नए बने और बंद पडे  स्वाइन फ्लू वार्ड को दो घंटे में  एक्टीवेट करा कर ऊंचाहार के घटना में शिकार लोगों के इलाज के लिए तैयार कराया । यह एक बडी चुनौती थी जिसका संस्थान ने सामना किया।  रात 12 बजे तक वह खदु वार्ड को एक्टीवेट कराने के लिए व्यवस्था को देखते रहे। वार्ड को एक्टीवेट कराने के लिए सबसे पहले कई विभागों के संकाय सदस्यों , नर्सेज, पेशेंट हेल्पर की टीम बनायी सभी विभागों से स्टाफ लिया गया। इसके बाद उपकरणों को बेड के साथ फिट किया गया। एचआरएफ से आवश्यक दवाएं , ड्रेसिंग के लिए समान सहित कई व्यवस्था की गयी। एचआरएफ के इंचार्ज आरए यादव, आर के शर्मा , एपीआरओ एपी ओझा, पीआरओ आशुतोष सोती, एकाउंट के दीप चंद , डिप्टी एमएस सुनील शिशु, अस्पताल प्रशासन के प्रो. राजेश हर्षवर्धन  सहित कई अधिकारी हर स्तर रात दो बजे सारे इंतजाम पूरे किए। पल्मोनरी मेडिसिन के हेड प्रो.आलोक नाथ, प्लास्टिक सर्जरी के प्रो. अंकुर भटनागर ने वार्ड में क्या जरूरत पडेगी पूरा मैनेज किया। निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने बताया कि वार्ड बन कर तैयार था लेकिन एक्टीवेट नहीं था क्यों कि स्वाइन फ्लू का सीजन खत्म हो गया था। इस आपदा को देखते हुए सबके सहयोग से दो घंटे में वार्ड एक्टीवेट किया इस वार्ड में 11 बेड 

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