बुधवार, 8 नवंबर 2017

पीजीआइ में बनेगा स्ट्रोक रिसपांस टीम

पीजीआइ में ब्रेन स्ट्रोक के इलाज में चुनौतियों पर चर्चा


चार घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचने पर लगने वाले समय में कमी की जरूरत
पीजीआइ में बनेगा स्ट्रोक रिसपांस टीम 
फिलहाल न्यूरोलाजी के डाक्टर अान काल होते है उपलब्ध
जागरणसंवाददाता। लखनऊ
ब्रेन स्ट्रोक के इलाज में समय की अहम भूमिका है । देखा गया है कि साढे चार घटे के अंदर यदि मरीज को खास दवाआरटी-पीए रसायन( एक्टीलाइज)  दे दी जाए तो स्ट्रोक के कुप्रभाव मरीज में कम हो जाते है। संजय गांधी पीजीआइ में चार घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचने पर खास देने का इंतजाम है। मरीज के पहुंचने के बाद कैसे जल्दी इलाज मिले और क्या हो इलाज की दिशा पर सीएमई का अायोजन किया गया।  संस्थान के रेडियोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. अारवी फडके, प्रो. विवेक सिंह, न्यूरो लाजी विभाग के प्रमुख प्रो. सुनील प्रधान, प्रो. संजीव झा, प्रो.वीके पालीवाल, क्रिटकल केयर मेडिसिन के प्रो.अारके सिंह सहित अन्य ने संस्थान में समय को कम करने के साथ इलाज के अन्य विकल्पों  पर चर्चा की जिसमें कहा गया कि स्ट्रोक रिसपांस टीम बनाने की जरूरत है जिसमें न्यूरोलाजी, रेडियोलाजी सहित अन्य की टीम हो जो सूचना मिलने के बाद तुरंत एक्सन में अा जाए इसके साथ एचअारएफ से एक मिनट दवा मिल जाए । विशेषज्ञों ने कहा कि हमारे यहां जागरूकता की कमी के कारण चार घंटे के अंदर एक फीसदी से कम लोग पहुंच पाते है। लक्षण प्रकट होते ही यदि मरीज  को तुरंत लाया जाए तो कम से लखनऊ के अास-पास जिले के मरीज चार घंटे में पहुंच सकते हैं। प्रो.विवेक सिंह ने बताया कि दवा के अलावा दिमाग की नस में बने थक्के को हम लोग विशेष डिवाइस से खीच कर निकाल कर रक्त प्रवाह दिमाग में सामान्य करते है। इलाज की दिशा सीटी स्कैन के बाद ही तय होती है। 

क्या है चुनौतिया
-ब्रेन स्ट्रोक को पहचाना
- स्ट्रोक के बाद चार घंटे के अंदर अच्छे संस्थान में पहुंचाना
- अस्पताल में पहुंचने के बाद स्ट्रोक रिसपांस टीम का तेजी से एक्सन
- 20 से 25 मिनट के अंदर सीटी स्कैन कर स्ट्रोक का प्रकार पता कर दवा या इलाज देना
- दवा की उपलब्धता 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें