बुधवार, 22 नवंबर 2017

30.84 फीसदी पुरूषों के स्पर्म की क्वालिटी में मिली गड़बडी-दस हजार में एक को हो सकती है विक्की डोनर की जरूरत

35 के बाद पिता बनने में खडी हो सकती है बाधा

पहली बार 1219 पुरूषों के स्पर्म पर हुअा शोध  

30.84 फीसदी पुरूषों के स्पर्म की क्वालिटी में मिली गड़बडी
35 के बाद साल दर साल खराब होने लगती है स्पर्म की क्वालिटी
कुमार संजय। लखनऊ
    

उम्र बढने के साथ संभव है कि मर्द शारीरिक रूप से 60 से 70 साल तक फिट रहे लेकिन इनमें प्रजनन क्षमता कम होने लगती है। इनके स्पर्म की गुणवत्ता में कमी अाने लगती है । पहली बार देश के कई भागों में रहने वाले पुरूषों के  स्पर्म की क्वालिटी पर दस साल तक शोध के बाद शोध वैज्ञानिकों ने कहा कि 35 की उम्र के बाद स्पर्म की गुणवत्ता में कमी अाने लगती है। इससे वह  पिता नहीं बन पाते है। शोध वैज्ञानिकों ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के 1219 एेेसे पुरूषों के स्पर्म की क्वालिटी पर शोध किया जो दंपति पिता नहीं बन पा रहे था। गर्भ धारण नहीं करा पा रहे थे इसे डाक्टरी भाषा में इंनफर्टलिटी कहते है। देखा कि शोध में शामिल पुरूषों में से 30.84 फीसदी पुरूषों की स्पर्म की क्वालिटी मानक के  अनुरूप नहीं था। 35  की उम्र के बाद क्वालिटी में धीरे-धीरे कमी अाती गयी। शोध में जिन पुरूषों को शामिल किया गया उम्र के अनुसार पांच अायु वर्ग में बांटा गया जिसमें 21 से 28, 29 से 35, 36 से 42, 43 से 49, 50 से 60 अायुर्वग के पुरूषों के स्पर्म को लेकर स्पर्म की मात्रा, उसमें शुक्राणअों की संख्या, गति और बनावट का अध्ययन किया गया जिसके बाद यह तथ्य सामने अाया। एमएणआईएमएस अंबाला हरियाणा के गायनकोलाजी विभाग के डा. नैना कुमार, सेफैई विवि इटावा से डा. अमित कुमार सिंह और एमजीआईएस सेवाग्राम वर्धा से डाय अजय अार चौधरी ने दस साल तक इस काम में लगे  रहे। इनके शोध को इंटरनेशनल जर्नल अाफ रीप्रोडेक्टिव मेडिसिन ने स्वीकार किया। 

क्या है इंनफर्टलिटी
शोध पत्र में विशेषज्ञों ने बताया है कि एक साल बिना गर्भ निरोधक के सेक्सुअल रिलेशन के बाद भी स्त्री गर्भधारण न करें तो इसे इंफर्टलिटी मान कर दोनों का मेडिकल परीक्षण करना चाहिए। 

इंनफर्टलिटी के 35 से 40 फीसदी मामले में पुरूष जिम्मेदार  
शोध पत्र में कहा गया है कि इंफर्टलिटी के लिए 35 से 40 फीसदी जोडों में पुरूष जिम्मेदार होता है। इनके स्पर्म की क्वालिटी खराब होती है जिसके कारण गर्भधारण नहीं होता है। बताया कि उम्र बढने के साथ जनांनग के जर्मिनल एपीथिलियम में क्षरण होने लगता है जिसके कारण सपर्म में शुक्राणुअों की संख्या में कमी( अलिगो अोजो स्पर्मिया) , शुक्राण् न होना ( एजो स्पर्मिया), शुक्राणु के गति में कमी( एस्थोनोजो स्पर्मिया), बनावट में खराबी( टीराटोजो स्पर्मिया) की परेशानी होती है। 





उम्र            शुक्राणु संख्य़ा(मिलियल)             गति( प्रतिशत)                         मात्रा( एमएल)                           
21 -28          144.8                                  47.47                                      2.86
29-35           149.46                                48.14                                      2.74
36-42            120.41                                 40.0                                       2.48
43-49            112.33                                 33.12                                    2.44
50-60             61.03                                  31.33                                   1.73   





विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जारी किया नया स्पर्म का नार्मल रेंज
दस हजार में एक को हो सकती है विक्की डोनर की जरूरत 
कुमार संजय। लखनऊ
विक्की डोनर की जरूरत दस हजार में से किसी एक मे होती है। किस दंपति को विक्की डोनर की जरूरत है इसका पता केवल  परीक्षण से ही संभव है। सीमेन की गुणवत्ता को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नई गाइड लाइन जारी किया है। इस दायरे में आपका सीमेन परीक्षण आता है तो आप पूर्ण रूप से संतान पैदा करने में सछम हैं। सीमेन की क्वालिटी को लेकर कई तरह की भ्रांतियां है जिसको दूर करने के लिए विश्वस्वास्थ्य संघटन ने विश्व के 14 देशों से 4500 लोगों के सीमेन का परीक्षण कर डाटा एकत्र किया है। परीक्षण रिपोर्ट को ह्यूमन रिप्रोडेक्शन अपडेट जर्नल ने स्वीकार भी किया है। रिर्पोट के मुताबिक 17 से 67 आयु वर्ग के लोगों के सीमेन का परीक्षण करने के बाद नार्मल रेंज तय किया गया है। स्पर्म काउंट, सीमेन वाल्यूम, स्पर्म कंनसट्रेशन, मोटैलिटी और वाइटैलिटी के मानकों पर सीमेन का परीक्षण किया गया। प्राइवेट प्रैक्टिशिंग पैथोलाजिस्ट एंड माइक्रोबायलोजिस्ट एसोसिएशन लखनऊ शाखा के डा. पीके गुप्ता कहते हैं कि नार्मल रेंज के तहत यदि सीमेन की रिपोर्ट आती है तो वह व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हैं। 
मानक               नार्मल वैल्यू 
सीमेन वाल्यूम  ....      1.4 से 1.7 एमएल 
टोटल स्पर्म   .....       39 मिलियिन पर एजूकुलेशन 
स्पर्म कंसेनट्रेशन  .....  1.5मिलियन प्रति एमएल 
मोर्टलिटी   .....         40 फीसदी 
वाइटैलिटी   .....       58 फीसदी लाइव 

सब कुछ ठीक तो भी 7 महीने लगता है गर्भधारण में 
सब कुछ ठीक है तो भी  गर्भधारण में 6 महीने का समय लग जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पति -पत्नी दोनो सामान्य है तो भी महीने में गर्भधारण  करने की संभावना 20 फीसदी प्रति माह होती है। इस तरह सब कुछ सामान्य तौर पर चले तो भी महिला को गर्भवती होने में 6 से 7 माह का समय लग सकता है। सात माह भी पति और पत्नी को किसी परीक्षण के लिए जाना चाहिए





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