शुक्रवार, 20 जून 2025

उमस ने बढ़ाई मानसिक रोगियों की परेशानी




उमस ने बढ़ाई मानसिक रोगियों की परेशानी

सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में बढ़े मरीज, बढ़ाना पड़ रहा दवाओं का डोज



गर्मी और उमस के कारण मानसिक रोगियों की परेशानी बढ़ गई है। सरकारी अस्पतालों में मानसिक रोग की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है। चिकित्सकों का कहना है कि गर्मी की वजह से हार्मोन में असंतुलन के कारण मानसिक रोगी बेहाल हैं। मरीजों में दवाओं की डोज बढ़ानी पड़ रही है।


बलरामपुर अस्पताल के मानसिक रोग विभाग की प्रत्येक ओपीडी में 50 से 60 मरीज गर्मी से प्रभावित होकर आ रहे हैं। गत एक सप्ताह में 250 से अधिक मरीज पहुंचे। इन मरीजों में तापमान बढ़ने से चिड़चिड़ापन, बेचैनी, अवसाद के लक्षणों में वृद्धि देखी गई। अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष डॉ. देवाशीष शुक्ला ने बताया कि गर्मी से मानसिक रोगियों के दिमाग में बदलाव आने लगते हैं। अवसाद और चिंता के लक्षणों में उछाल हो सकता है। उन्होंने बताया कि गर्मी में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे फील-गुड हार्मोन का स्तर कम हो सकता है। तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर भी बढ़ा जा रहा है। इससे मानसिक रोगियों की तबीयत गड़बड़ सकती है।  कुछ दिनों से लगातार उमस से हर कोई बेहाल है। ऐसे में मानसिक रोगियों में दिक्कत बढ़ जाती है।


शरीर में न होने दें पानी की कमी

डॉ. देवाशीष शुक्ला ने बताया कि गर्मी में पसीना अधिक आने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। जिससे निर्जलीकरण हो सकता है। निर्जलीकरण से इलेक्ट्रोलाइट असुंतलन हो सकता है, जो न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित कर सकता है। निर्जलीकरण रूप से मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। गर्मी में रातें लंबी और दिन बड़े होने के कारण नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। नींद की कमी से भी मूड खराब हो सकता है। चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि एक से दो प्रतिशत मरीजों में अत्यधिक गर्मी में आक्रोशता बढ़ गई। घरेलू हिंसा पर भी उतारू हो गए। डॉ. देवाशीष शुक्ला ने बताया कि मानसिक रोगी नियमित दवाओं का सेवन करें के साथ ही दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं। सामाजिक संपर्क बना रखें। अकेलेपन से बचें। किताबें पढ़ें। टीवी पर मनोरंजन से जुड़े कार्यक्रम देखें। 


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