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नई दवा से बैड कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण, हार्ट अटैक का खतरा होगा कम
नई कंबीनेशन थेरेपी से मिली सफलता
स्टैटिन से लाभ न पाने वाले मरीजों के लिए राहत की उम्मीद
कुमार संजय
दिल की रक्त वाहिकाओं ( ब्लड वेसल्स) में रुकावट के कारण रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे हार्ट अटैक ( हार्ट अटैक) आने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसका मुख्य कारण एलडीएल कोलेस्ट्रॉल , जिसे ‘बैड कोलेस्ट्रॉल’ कहा जाता है।
इस कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आमतौर पर स्टैटिन नामक दवा दी जाती है। हालांकि, शोध से पता चला है कि लगभग 30 से 40 प्रतिशत मरीजों में स्टैटिन लेने के बावजूद एलडीएल का स्तर 50 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे नहीं आता, जिससे उन्हें अभी भी दिल की बीमारी का जोखिम बना रहता है।
संजय गांधी स्नातकोत्तर पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. नवीन गर्ग ने ऐसे मरीजों के लिए एक नई कंबीनेशन थेरेपी विकसित की है। इस थैरेपी में स्टैटिन के साथ दो और रसायन – बेम्पेडोइक एसिड और एजीटीएमआई को शामिल किया गया।
इस संयोजन को 322 मरीजों पर आजमाया गया। नतीजे सकारात्मक रहे – अधिकांश मरीजों में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर 50 से भी नीचे चला गया। इस शोध के प्रारंभिक निष्कर्ष इंडियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के वार्षिक अधिवेशन में प्रस्तुत किए जा चुके हैं। अब इस शोध को यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी) के अधिवेशन में भी प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रण मिला है।
प्रो. गर्ग का कहना है कि संस्थान की ओपीडी में हर दिन करीब 200 से 250 मरीज आते हैं, जिनमें से लगभग 60 मरीज ऐसे होते हैं जिनका कोलेस्ट्रॉल सामान्य से अधिक होता है। इनमें से कई मरीजों ने स्टंट या पेसमेकर लगवा रखा होता है, और फिर भी दवाओं से लाभ नहीं मिलता। ऐसे मरीजों के लिए यह नई थैरेपी एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरी है।

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