...तो यह है कोरोना वायरस संक्रमण का तीसरा स्टेज
इससे बचाने के लिए किया गया लाक डाउन
यदि रचना की तरह सबने दिखायी होती समझदारी
कुमार संजय। लखनऊ
केस वन – रचना( काल्पनिक) चीन गयी थी वहां पर उन्हें कोरोना वायरस का इन्फेक्शन हुआ। देश लौटी, तब एकदम ठीक थी। फिर भी उसने खुद को सबसे अलग रखा। भीड़भाड़ से दूर। हफ्ते भर में उसे खांसी-बुखार शुरू हुआ। जांच में वो पॉजिटिव निकली। अस्पताल में क्वारंटीन किया गया। अगले एक हफ्ते या दस दिन में वो ठीक होकर घर लौट आई। बीमारी आगे नहीं बढ़ी।
सीन-2
कनिका लंदन से लौटी लेकिन आते ही एक ट्रिप पर दोस्तों के साथ निकल गई। ये दोस्त जहां गए, वहां पर एक बहुत बड़ी पूल पार्टी हुई। तमाम लोग सम्पर्क में आए। उनमें से कुछ को इन्फेक्शन हुआ होगा कुछ को नहीं। जैसे ही लोगों को कनिका पॉजिटिव होने की बात पता चली। लोग जांच करवाएं। उन लोगों को ट्रैक करने की कोशिश की गई, लेकिन सारे लोग फिर भी ट्रैक नहीं किए जा सके। अब जिनका कुछ अता-पता नहीं, वो लोग देश के किन कोनों में गए। कैसी भीड़ का हिस्सा बने। कितने लोगों से मिले। किसी को कुछ पता नहीं. इनमें से कोई विदेश भी नहीं गया। अपनी जानकारी में किसी ऐसे व्यक्ति से भी नहीं मिला, जो विदेश गया हो और संक्रमित हो सकता हो पॉजिटिव निकले।
संजय गांधी पीजीआइ के शरीर प्रतिरक्षा वैज्ञानिक प्रो.विकास अग्रवाल कहते के मुताबिक
कोरोना भारत इस वक़्त सेकंड स्टेज पर है। कोरोना वायरस के फैलने के तीन चरण हैं। रचना की तरह यदि सबने किया होता या करे तो हम वायरस के फैलाव को रोक सकते हैं। बताया कि तीसरे चरण में इन्फेक्ट हो चुके लोकल लोगों से समूहों में इन्फेक्शन फैलता है। ये मुश्किल स्टेज होती है। इसमें वो लोग भी पॉजिटिव निकलने शुरू हो जाते हैं, जिनका फॉरेन ट्रेवल या बाहर से लौटे किसी व्यक्ति से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं होता। ये होता है कम्युनिटी स्प्रेड. यानी एक के साथ एक ये पूरे समुदाय में फैलना शुरू हो जाता है। किसी को पता नहीं होता कि वायरस आया कहां से, ताबड़तोड़ बड़े इलाके एक साथ इन्फेक्ट होते हैं। कोई भी बीमारी इसके बाद हीमारी महामारी बन जाती है जिसमें जब एक के बाद एक बड़े समूह इससे संक्रमित होते है। संक्रमण खत्म होने का नाम ही न ले रहा होता है। इसके केस काफी समय तक लगातार मिलते हैं.
क्या है स्टेज वन
वायरस है. कहीं से तो आएगा. अचानक अपने आप तो फूट पड़ेगा नहीं कहीं भी. यह चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ। उसके बाद बाकी जगहों पर फैला। तो किसी भी ऐसे क्षेत्र में, जहां वायरस पहले से मौजूद न हो, वहां पर पहली बार इसे कैरी करके ले जाने वाले लोग पहले स्टेज की शुरुआत करते हैं। जैसे केरल में हुआ. वहां के स्टूडेंट चीन के वुहान में पढ़ रहे थे वो लोग वहां से लौटे। लक्षण दिखते ही उन्होंने डॉक्टर से सम्पर्क किया। जांच के बाद उनमें से कुछ पॉजिटिव निकले। उन्हें क्वारंटीन किया गया। इलाज किया गया. शुरुआती जो तीन केस थे वो ठीक हो गए। इस चरण में इन्फेक्शन कैरी करने वालों की पहचान हो जाती है. क्योंकि वो बाहर से आए होते हैं. अगर उन सबकी पहचान करके उन्हें छांट लिया जाए, तो वायरस इस स्टेज से आगे बढ़ ही नहीं पाएगा।
क्या है स्टेज टू
जिनकी जांच हुई, जो पॉजिटिव निकले, वो तो ठीक हो गए. लेकिन इनके अलावा कई ऐसे लोग थे, जो वुहान से या आस-पास के क्षेत्रों से लौटे थे उन्हें ये भी नहीं पता था कि वो इन्फेक्टेड हैं। वो नहीं गए क्वारंटीन में मजे से आए, घर बैठे। घूमते-फिरते रहे। लोगों से मिले। अपने साथ वायरस लिए हुए। इनके संपर्क में जो आए, वो भी वायरस के कैरियर बन गए। कुछ में लक्षण दिखे, कुछ में नहीं. इस तरह ये वायरस लोकल स्तर पर फ़ैल गया।.
इस स्टेज में वो लोग इन्फेक्ट होते हैं या पॉजिटिव पाए जाते हैं, जो इन्फेक्टेड जगहों से लौटे व्यक्ति के संपर्क में आए हों। सिंगर कनिका कपूर ख़बरों में आई थीं. लंदन से लौटीं, फिर पार्टी करने चली गईं, फिर पता चला कि वो कोरोना पॉजिटिव हैं। अब पार्टी वगैरह में जो भी उनके संपर्क में आया, उसे खुद को क्वारंटीन करना होगा।
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