पीजीआई में एंजाइम रिप्लेसमेंट थिरेपी थिरेपी से मिलेगी राहत
लाइसोसोमल स्टोरेज डिसआर्डर के का पता लगना पीजीआई में संभव
नेशनल हेल्थ मिशन से इलाज में मदद की दरकार
पीजीआई में चल रहा है 20 मरीजों का इलाज
संजय गांधी पीजीआई में एंजाइम रिप्लेसमेंट थिरेपी के जरिए स्टोरेज डिसआर्डर बीमारियों का इलाज संभव है। इन अनुवांशिकी बीमारियों से ग्रस्त बच्चों का अनुभव बताने के लिए संस्थान के जेनटिक्स विभाग ने मीट का आयोजन किया। इस मौके पर नेशनल हेल्थ मिशन के डीजीएम डॉ अमरेश बहादुर सिंह थैलेसीमिया और हीमोफेलिया से ग्रस्त बच्चों के फ्री इलाज के लिए जिस तरह से सरकार मदद कर रही है। रेअर डिजीज के लिए भी सरकार से मदद मिल जाये, इसका रास्ता निकाला जा रहा है, उम्मीद है कि जल्दी ही इस बारे में कुछ न कुछ फैसला होगा। विभाग की प्रमुख प्रो.शुभा फकड़े और डा. अमिता ने बताया कि इन बच्चों को पूरी जिंदगी इलाज की जरूरत है। इनके इलाज के लिए दवाएं कंपनियां दे रही है। बताया कि इस थिरेपी के जरिए शरीर में अंगों में जमा अवांक्षित तत्वों को बाहर निकाल कर मरीजों की जिंदगी काफी हद तक सामान्य की जा सकती है। स्टोरेज डिसआर्डर बीमारी के कई तत्व शरीर की कोशिकाओं के क्षति पहुंचाने वाले कोशिका में जमा होने लगते हैं जिससे वह अंग या कोशिका काम करना बंद कर सकती है। इन बीमारियों का पता शुरुआती दौर में लग जाए तो अंगों को बचाना काफी आसान होता है। प्रो. शुभा के मुताबिक स्टोरेज डिसआर्डर के तहत आने वाली बीमारी गाउचर सिंड्रोम, म्यूकोपालीसैक्रीडाओसिस, फैब्री डिजीज का पता कई बार नहीं लगता है। विभाग में बीमारी का पता लगाने की तकनीक स्थापित है। इस मौके पर निदेशक प्रो.आरे धीमन मौजूद रहे। कानपुर की रहने वाली 27 साल की ट्विन्स बहनों का नाम श्रुति और गोरे है। यह ओस्टोजेनिसिस इम्पेर्फेक्टा’ बीमारी से पीडि़त हैं।
दूसरी बीमारी मान कर होता रहता है इलाज
दूसरी परेशानी मान कर इलाज चलता रहता है क्योंकि तमाम दूसरी बीमारियों में भी जिगर और तिल्ली का आकार बढ़ जाता है। इन अनुवांशिकी बीमारी में भी अवांक्षित तत्वों के अंग की कोशिकाओं में जमा होने के कारण जिगर, स्पलीन आदि अंगों का आकार बढ़ जाता है। एंजाइम रिप्लेसमेंट थिरेपी के तहत खास दवाएं मरीजों को चढ़ाया जाता है जो तत्वों को कोशिका से बाहर कर देता है।
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