मंगलवार, 3 मार्च 2020

लिवर बायोप्सी का विकल्प साबित हो सकता है फाइब्रोस्कैन - उत्तर भारत का पहला शोध जिसमें बच्चों में तय हुआ पैमाना

ट्रांसिट इलास्टोग्राफी बिना दर्द बता देगा लिवर फाइब्रोसिस


लिवर बायोप्सी का विकल्प साबित हो सकता है फाइब्रोस्कैन

उत्तर भारत का पहला शोध जिसमें बच्चों में तय हुआ पैमाना
एलएसएम 10.6 से अधिक तो लिवर में परेशानी

कुमार संजय़। लखनऊ

संजय गांधी पीजीआइ के विशेषज्ञों ने सौ लोगों पर शोध के बाद साबित किया है कि ट्रांसिट इलास्टोग्राफी( टीई) यानि फाइब्रोस्कैन के जरिए  लिवर फाइब्रोसिस का पता लगाने में लिवर बायोप्सी के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण उत्कृष्ट जांच है जिसमें शरीर पर कोई चीरा या कट नहीं लगता है।  अल्ट्रासाउंड की तरह जांच होती है।  मरीज को किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है। टीई और लिवर बायोप्सी में संबंध देखने के लिए 
 50 सीएलडी( क्रानिक लिवर डिजीज)  के मरीज जिनमें फाइब्रोस्कैन के साथ लिवर की बायोप्सी भी हुई और   50 स्वस्थ लोगों का फाइब्रोस्कैन परीक्षण किया गया। लिवर की परेशानी वाले  5-18 वर्ष की आयु के थे जो भर्ती हुए थे। लीवर बायोप्सी स्कोरिंग और फाइब्रोस्कैन स्कोर के साथ तुलना की गई । देखा गया कि सामान्य वर्ग के लोगों में 
फाइब्रोस्कैन का परीक्षण पैमान लिवर स्टिफनेस मेजरमेंट (एलएसएम) सामान्य  4 .9 (2.5-7.3) किलो  पास्कल  मिला।  किशोर  पुरुषों में  एलएसएम  5.6 (4.1-7.3) किलो पास्कल था जो बढा हुआ था।  महिलाओं की तुलना में 4.3 (3.7-4.9) किलो पास्कल मिला। सीएलडी वाले वर्ग में जिनमें एलएसएम 10.6 केपीए था उनमें लिवर फाइब्रोसिस की बायोप्सी से भी पुष्टी हुई।   विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह एक स्कोर का कट आफ भी उत्तर भारतीयों में तय हो गया। एलएसएम 10.6 से अधिक स्कोर है तो लिवर सिरोसिस की आशंका है ।  देखा गया कि किशोर पुरुषों में टीई का स्कोर सामान्य महिलाओं की तुलना में अधिक है। पीजीआइ में फाइब्रोस्कैन जांच की सुविधा उपलब्ध है। गैस्ट्रोमेडिसिन विभाग में यह जांच रेगुलर बेसिस पर हो रही है।   

बच्चों पर यह पहला शोध
विशेषज्ञों ने कहा है कि स्वस्थ भारतीय बच्चों में इलास्टोग्राफी  मानक तय करने वाला उत्तर भारत का यह पहला अध्ययन है। लिवर के  उपचार में फाइब्रोस्कैन द्वारा लिवर की कठोरता मापी जाती है देखा कि कठोरता के आधार पर  फाइब्रोसिसगंभीर फाइब्रोसिस और सिरोसिस  की आशंका देखी जा सकती है।


ऐसे हुआ शोध
शोध शामिल बच्चों का फ्राइब्रोस्कैन परीक्षण किया साथ ही लिवर की बीमारी वाले बच्चों का इसके साथ लिवर बायोप्सी किया गया। विशेषज्ञों ने यूलिटी एंड एक्यूरेसी आफ ट्रांजिट इलास्टोग्राफी इन डिटरमाइनिंग लिवर फाइब्रोसिस विषय़ पर गैस्ट्रोइंट्रोलाजीपिडियाट्रिक गैस्ट्रो इंट्रोलाजी और हिस्टोपेथोलाजिस्ट के विशेषज्ञ डाविकास जैनडा.उज्जवल पोद्दार,  टीएस नोगी. डा.विवेक ए सारस्वतडानरेंद्र कृष्नानीडा.एसके याचा और डा. अंशु श्रीवास्वतव ने किया। शोध को यूरोपियन जर्नल आफ पिडियाट्रिक ने स्वीकार किया है।
शुरूआती दौर में पकड़ तो सिरोसिस से बचाव

संजय गांधी पीजीआइ के पिडियाट्रिक गैस्ट्रो इंट्रोलाजिस्ट प्रोन मोइनिक सेन शर्मा के मुताबिक लिवर फाइब्रोसिस लिवर सिरोसिस का काफी शुरूआती दौर होता है। कुछ कारण जैसे फैटी लिवर, एल्कोहलिक, वायरल, आटो इम्यून  कारण होने पर सही समय सही इलाज इसे फाइब्रोसिस की रफ्तार को कम कियाजा सकता है। फाइब्रोसिस के बाद सिरोसिस होने में चार  स्टेज होत होते हैं।  

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