एक्यूट किडनी इंजरी के केस में दोबारा काम करने लगती है किडनी
आठ फीसदी मामलों में पूरी तरह काम करना बंद करती है किडनी
एक्यूट किडनी इंजरी जिसमें किडनी एक दम से काम करना बंद कर देता है। ऐसे 90 फीसदी मामलों में सही समय पर सही इलाज से किडनी दोबारा सही तरीके से काम करने लगती है। इन मरीजों को हमेशा फालोअप में रहना चाहिए क्योंकि इनमें दोबारा किडनी खराबी की परेशानी दोबारा संभव है। खास तौर यदि एकेआई से बाद पेशाब में प्रोटीन, आरबीसी और डब्लूबीसी लगातार आ रहा है। संजय गांधी पीजीआइ में आयोजित इंडियन सोसाइटी आफ नेफ्रोलाजी ( नार्थ जोन) के वार्षिक अधिवेशन में प्रो. नरायन प्रसाद ने बताया कि 30 फीसदी किडनी खराबी के मामले एक्यूट किडनी इंजरी के होते है । इनमें से आठ फीसदी लोगों में क्रानिक किडनी डिजीज की आशंका रहती है। इस लिए फालोअप पर रहना चाहिए। हर साल 10 लाख से ज़्यादा मामले देश में होते हैं। कारण पता करने के लिए प्रयोगशाला परीक्षणों , इमेजिंग की हमेशा आवश्यकता होती है। प्रो.अनुपमा कौल ने बताया कि कुछ ही घंटों या दिनों के भीतर गुर्दे तेज़ी से अचनाक काम करना बंद कर देते हैं। यह घातक हो सकता है। गंभीर रूप से बीमार और पहले से ही अस्पताल में दाखिल लोगों के साथ ऐसा सबसे ज़्यादा होता है।
एक्यूट किडनी फेल्योर के कारण
-बहुत ज्यादा दस्त और उल्टी होने के कारण शरीर में पानी की मात्रा में कमी एवं खून के दबाव का कम होना।
-गंभीर संक्रमण, गंभीर बीमारी या एक बड़ी शल्य चिकित्सा के बाद
-पथरी के कारण मूत्रमार्ग में अवरोध होना ।
- जी6 पीडी की कमी, इस रोग में खून के रक्तकण कई दवाओं के प्रयोग से टूटने लगते हैं, जिससे किडनी अचानक फेल हो सकती है।
- फेल्सीफेरम मलेरिया और लैप्टोस्पाइरोसिस
- खून में गंभीर संक्रमण, किडनी में गंभीर संक्रमण, किडनी में विशेष प्रकार की सूजन
- स्त्रियों में प्रसव के समय खून के अत्यधिक दबाव का होना या ज्यादा खून का बह जाना
- दवा का विपरीत असर होना
- साँप का काटना
यह परेशानी तो तुरंत ले सलाह
पेशाब में कमी, तरल पदार्थ जमा होने का कारण सूजन, मतली, थकान, और सांस फूलना शामिल है.
कई बार लगता है स्टंट
मूत्राशय से गुर्दे तक मूत्र वहन करने वाली पेशीय वाहिनी में डला पतला ट्यूब. आम तौर पर इसे मूत्र प्रवाह अवरुद्ध होने पर इस्तेमाल किया जाता है.
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