रविवार, 15 मार्च 2020

अस्पताल से कंपनी के कर्मचारी बाहर... जांच ठप्प हो सकती है


सरकारी अस्पताल में बिना सरकारी पैसे काम कर रहे कर्मचारी बाहर 



मरीजों को जांच में परेशानी 

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की ताम रक्त संबंधी जांच के लिए पीओसीटी को रीजेंट कांट्रैक्ट पर काम दिया गया है जांच के मानव संसाधन भी कंपनी बिना सरकार से कोई शुल्क लिए दे रही थी लेकिन सरकारी अधिकारियों को यह रास नहीं आया और कंपनी को मानव संसाधन देने से मना कर दिया कहा कि अस्पताल के कर्मचारी काम करेंगे जबकि कर्मचारी इतने कम है कि रूटीन काम ही संभव नहीं हो पा रहा है....लंबे समय से काम कर रहे एक हजार से अदिक लोग बेरोजगार हो गए..... 

सोमवार को मरीजों को खून से संबंधी जांच के लिए परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। अस्पतालों में कार्यरत निजी कंपनी के कर्मचारी अस्पताल के प्रमुख अफसरों के मौखिक आदेश पर 15 दिन से मरीजों की जांच कर रहे हैं। अब सोमवार से कर्मचारियों को काम से हटाने के लिए शासन स्तर से दबाव बनाया जा रहा है। अस्पतालों के अफसरों ने शासन को पत्र लिखकर कर्मचारियों को न हटाने और आदेश पर पुनर्विचार की मांग की है। शासन से हटाने का दबाव होली के बाद सोमवार को अस्पतालों में मरीजों की भीड़ जुटने की संभावना है। ऐसे में सोमवार से ही इन हाउस पैथालॉजी सर्विसेज के जरिए कार्यरत कर्मचारियों को काम न करने के निर्देश हो गए हैं। इन कर्मचारियों को शासन ने 28 मार्च से ही काम करने से रोक दिया था, लेकिन काम प्रभावित होने से अस्पतालों के प्रमुखों के हाथ-पैर फूल गए थे। मरीजों को सुविधा न दे पाने और व्यवस्था चरमराते देख चिंतित और परेशान अफसर पीओसीटी कंपनी से मौखिक वार्ता कर कर्मचारियों से काम करा रहे थे। इसके लिए अस्पतालों के अफसरों की ओर से शासन को पत्र भेजकर कर्मचारियों को न हटाने की अपील की गई थी। लेकिन शासन से जुड़े अफसर उन्हें हटाने पर अड़े हैं। चिंतित हैं कर्मचारी वेतन न मिलने और नौकरी जाने से परेशान कर्मचारी सोमवार से काम बंद कर रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों की माने तो शासन के दबाव को देखते हुए कर्मचारियों को अस्पताल आने से साफ मना कर दिया गया है। यह कर्मचारी बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु, रानी लक्ष्मीबाई समेत अन्य सरकारी प्रमुख अस्पतालों में मरीजों की खून की जांच, बॉर कोडिंग आदि का काम देख रहे हैं। वहीं, अस्पतालों में सरकारी कर्मचारी कंप्यूटर पर यह काम करने में दक्ष नहीं हैं। साथ ही स्टाफ की पहले से ही काफी कमी है। वर्जन बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन का कहना है कि पैथालॉजी के कर्मचारियों को हटाने से काम प्रभावित होगा। इन कर्मचारियों को हटाने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। सिविल व लोकबंधु के निदेशक डॉ. डीएस नेगी का कहना है कि कर्मचारियों से अभी काम कराया जा रहा था, क्योंकि उनको हटाने से मरीजों का इलाज अचानक से प्रभावित हो जाएगा।

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