रविवार, 1 मार्च 2020

डायबटीज के कारण खराब किडनी को बचाने के लिए मिला नुस्खा

डायबटीज के कारण खराब किडनी को बचाने के लिए मिला नुस्खा

किडनी में जमा नहीं होगा शुगर और कंट्रोल होगा डायबटीज 

40 फीसदी लोगों में किडनी खराबी कर रहा है डायबटीज

चालिस फीसदी लोगों में किडनी की खराबी का कारण अनियंत्रित शुगर यानि डायबटीज है। इसके कारण खराब हो रही है किडनी का बचाने के लिए नया नुस्खा मिल गया है। इसका नाम है सोडियम- ग्लुकोड ट्रांसपोर्ट प्रोटीन-2 इनहैबिटर। यह रसायन किडनी की खराबी को रोकने के साथ ही रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है। संजय गांधी पीजीआइ में आयोजित इंडियन सोसाइटी आफ नेफ्रोलाजी (नार्थ जोन) के वार्षिक अधिवेशन में विशेषज्ञों ने कहा कि डायबटिक क्रानिक किडनी डिजीज के मरीजों में यह दवा देना बहुत ही जरूरी है । इस दवा के लेकर विमर्श हुआ जिसमें तमाम जानकारी देते हुए बताया गया कि यह रसायन किडनी के नेफ्रान में स्थित प्राक्सीमल पर स्थित ट्रांसपोर्टर पर काम करता है जिससे किडनी में शुगर अवशोषित नहीं होता। शुगर किडनी के अंदर जमा नहीं होती है। इससे किडनी की खराबी वहीं थम थम जाती है। शुगर को नियंत्रित करता है। इसे डायबटिक किडनी मरीजों के लिए सबसे बडी खोज बताया जा रहा है।  संस्थान के नेफ्रोलाजिस्ट प्रो.नरायन प्रसाद और प्रो. रवि शंकर कुशवाहा  के मुताबिक किडनी खराबी के जितने मरीज आते है उनमें से 40 फीसदी में कारण डायबटीज होता है। शुगर किडनी में जमा होती रहती है जिससे किडनी के अंदर स्थित छननी( नेफ्रान) कम जोर हो जाते है और वह प्रोटीन छान नहीं पाते । हाई ब्लड शुगर लेवल की वजह से आपके किडनी के ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिनियां) में सिकुड़न आ जाती है 

पेशाब में प्रोटीन की कराते रहे जांच
प्रो. अनुपमा कौल ने मुताबिक शुगर के मरीजों को पेशाब में प्रोटीन की जांच कराते रहना चाहिए। पेशाब में प्रोटीन आ रहा है तो इसका मतलब है कि किडनी कमजोर हो रही है। ऐसे मामले में सोडियम- ग्लुकोज ट्रांसपोर्ट प्रोटीन-2 इनहैबिटर दवाएं शुरू करने से किडनी को बचा कर ट्रांसप्लांट या डायलसिस की स्थित तक आने तक काफी हद तक रोक सकते हैं।

कम नमक और पानी से नही होगा रजिसटेंस

प्रो.रवि शंकर कुशवाहा  हार्ट फोल्योर, लिवर सिरोसिस और नेफ्रोटिक सिंड्रोम के मरीजों में शरीर में पानी जमा होने लगता है जिसे निकलाने के लिए डाइ यूरोटिक दवाएं दी जाती है। कई बार इस दवा से रजिसटेस हो जाता है। दवा की मात्रा बढाने के बाद भी काम नहीं करती है। शरीर से पानी न निकलने के कारण सांस फूलने लगती है। इन मरीजों को दवा के साथ कम नमक और पानी लेना चाहिए इससे दवा के रजिसटेंस से बचा जा सकता है।   


डायबटिक मरीज को यह परेशानी तो लें सलाह

-नॉक्टूरिया – रात में ज़्यादा बार पेशाब करने जाना
-नॉक्टूरिया से नींद में ख़लल पड़ना
-थकान या कमज़ोरी महसूस होना
-टखने और पैरों में सूजन
-चेहरे पर सूजनआँखों के आसपास सूजन होना (ख़ासकर सुबह के समय )
-रात के समय पैरों में ऐंठन होना
-मांसपेशियों का कमज़ोर हो जाना
-जी मिचलाना, उल्टी होना
-भूख न लगना 
-एनीमिया 
-खुश्की, त्वचा में खुज़ली
-सर दर्द
-वज़न बढ़ना (तरल पदार्थों के जमा होने की वजह से)
-खून में प्रोटीनरक्त में यूरिया की अधिक मात्रा होनानाइट्रोज़न और क्रिएटिनिन का बढ़ना
-हाई ब्लड प्रेशर
-सांस लेने में तक़लीफ़


कानपुर के प्रो.संतोष सहित तीन को लाइफ टाइम एचीवमेंट

एसोसिएशन ने कानपुर मेडिकल कालेज के चिकित्सक एवं टीचर रहे प्रो, सतोष कुमार के किडनी बीमारी के इलाज में योगदान के लिए लाइफ टाइम एचीवमेंट एवार्ड से सम्मानित किया। दिल्ली के डा.अशोक सरीन और गंगाराम हास्पिटल दिल्ली के चेयरैमन डा. देवेंद्र सिंह राना को किडनी डिजीज के इलाज में योगदान के लिए इसी लाइफ टाइम एचीवमेंट एवार्ड से सम्मानित किया गया। इनके आलावा अमेरिका के डा. राजीव अग्रवाल, डा. जय राधा कृष्णन और डा. इंद्रामी सेन को किडनी डिजीज के इलाज की नई तकनीक में भारत में सहयोग के लिए सम्मानित किया गया।

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