रविवार, 29 सितंबर 2019

पीजीआइ में रिटायरमेंट के करीब पहुंचने वाले डाक्टर तलाश रहे है ठिकाना

रिटायरमेंट से पहले सेट हो लिए वीआरएस 

 अब संस्थान के 57 डाक्टर समय से पहले ले चुके है वीआरएस
पीजीआइ में रिटायरमेंट के करीब पहुंचने वाले डाक्टर तलाश रहे है ठिकाना
कारपोरेट अस्पताल आने से मिल रहा है रास्ता


संजय गांधी पीजीआइ में रिटायरमेंट के करीब पहुंचने वाले प्रोफेसर जल्दी से जल्दी ठिकाना तलाशनें में लग गए है। नौकरी के बचे कुछ साल से पहले वीआरएस लेकर आगे के लिए राह खोज रहे है। यह राजधानी में खुल रहे काररपोरेट अस्पतालों में काम के लिए लगातार बात कर रहे है। मानना है कि रिटारमेंट से पहले गए तो वहां पर मार्केट वैल्यू ठीक रहेगी रियाटरमेंट के बाद जाने से वैल्यू कम रहेगी साफ शब्दों में कहे तो सेलरी कम मिलेगी। संस्थान के वरिष्ठ संकाय सदस्य का कहना है कि पूरी जिंदगी सरकारी संस्थान में सेवा दिए पैसे का कोई लालच नहीं था लेकिन रिटारमेंट के बाद खाली बैठने से अच्छा है कि कमाई के साथ व्यस्तता बनी रहे जिसके कारण वीआरएस लेने की सोच रहे है। इसके लिए आवेदन भी कर दिया है। हमारे जाने से विभाग पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि विभाग में पहले से अच्छी संख्या में संकाय सदस्य है जो हम से कम नहीं है। संस्थान के कुछ यंग भी जाने की सोच रहे है उनका कहना है कि हमारे जाने से कोई फर्क नहीं पडेगा क्योंकि संस्थान ने पहले से अधिक संख्या में संकाय सदस्य तैनात कर लिया है। निदेशक प्रो.राकेश कपूर का कहना है कि वीआरएस लेना किसी का भी मूल अधिकार है। बांध कर किसी से काम नहीं कराया जा सकता है। काम करने के लिए मनोभावना होनी चाहिए। 65 के बाद वैसे भी जाना है तो कोई पहले विकल्प की तलाश करता है इसमें हम क्या कर सकते हैं। फिलहाल किसी के जाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अब 57 से अधिक सदस्य समय से पहले गए लेकिन विकास की प्रक्रिया कहीं नहीं रूकी।   
तीन तो रिटायरमेंट के करीब बाकी के पास वक्त
तीन संकाय सदस्य ऐसे है जिनका रिटायरमें दो से तीन साल बचा है। संस्थान में रिटारमेंट 65 वर्ष है । यह पहले ही सुरिक्षत होना चाहते है इस लिए वीआरएस लेने की कोशिश में है। दो संकाय सदस्य जो संस्थान छोडने का मन बनाएं वह अभी काफी यंग है लेकिन व्यक्तिगत परेशानी के कारण जाना चाहते है। 

निजि क्षेत्र के आसप्ताल रहे  हैं आकर्षण
   संस्थान 1986 से काम कर रहा है तबसे लगातार संस्थान विशेषज्ञ समय से पहले संस्थान छोड चुके है।  अब 57 से अधिक संकाय सदस्य पीजीआई को छोड़ कर दूसरे संस्थानों में जा चुके हैं । अधिकतर लोग निजि क्षेत्र में गए हैं। हाल में इटरवेंशन रेडियोलाजिस्ट प्रो.आरवी फड़के वीआरएस लेकर अपोलो मेडिक्स में ज्वाइन किए है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें