कैंसर मरीजों को दर्द के साथ नहीं काटनी पडेगी जिंदगी
पीजीआइ ने पैलेटिव केयर के लिए शुरू 20 बेड का वार्ड
दर्द से राहत के लिए जारी हुई हेल्प लाइन
कैंसर सहित अन्य लाइलाज बीमारी से ग्रस्त मरीजों के दर्द के साथ जिंदगी न बितानी पडे इसके लिए संजय गांधी पीजीआइ ने प्रदेश का पहला पैलेटिव केयर वार्ड शुरू किया है। यह पहला संस्थान है जहां पर 20 बेड का पैलेटिव केयर वार्ड सारी सुविधाओं से लैस है। इसका उद्घाटन बुधवार को निदेशक प्रो.राकेश अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो.अमित अग्रवाल, एनेस्थेसिया विभाग के प्रमुख प्रो.अनिल अग्रवाल और प्रो. संजय धीराज ने किया। प्रो. संजय धीराज ने बताया कि पैलेटिव केयर केवल कैसर से दर्द से राहत दिलाना नहीं बल्कि पार्किसंस, अल्जाइमर, ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की परेशानी के साथ अच्छी जिंदगी देना भी है। कैंसर के 75 फीसदी मरीज कैंसर के एडवांस स्टेज में आते हैं इस लिए इन्हें अधिक पैलेटिव केयर की जरूरत है। पैलेटिव केयर में इसके अलावा मानसिक बल देना भी शामिल है। उत्तर भारत पैलेटिव केयर के मामले में दक्षिण भारत राज्यों से पीछे है लेकिन अब हम लोग इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इसके अलावा इस वार्ड में पेन मैनेजमेंट के लिए आने वाले मरीजों को भर्ती करने की सुविधा हो गयी है। हम नर्व ब्लाक सहित अन्य तकनीक से पेन मैनेजमेंट भी कर रहे है। हमारी इसके लिए स्पेशल अपीडी चलती है। पैलेटिव केयर के लिए हेल्फ लाइन जारी की गयी है जिसका नंबर 8765530987 है।
इंटरवेंशन तकनीक से सीधे दर्द की जगह दी जाती है दवा
मारफीन घातक नहीं है। कैसर मरीजों में दवा का पूरा असर उनमें विकसित रिसेप्टर पर ही होता है। शरीर के दूसरे अंगों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता है। अलग -अलग मरीजों में मारफीन की अलग- अलग मात्रा दी जाती है। कुछ में पांच मिली ग्राम प्रति चार घंटे से लेकर 800 मिली ग्राम प्रति घंटे त· देनी पड़ती है। इससे 90 फीसदी मरीजों को काफी हद तक दर्द से राहत मिल जाती है। कुछ मरीजों में इटरवेंशन तकनीक से दर्द की जगह पर सीधे इंजेक्शन से ट्यूब से दवा की डोज देकर जिंदगी को आसान बनाया जाता है।
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