मंगलवार, 10 सितंबर 2019

पीजीआइ में संभव होगा मूवमेंट डिसआर्डर का इलाज - अंग को नियंत्रित करने वाली दिमागी हिस्से को किया जाएगा नियंत्रित

पीजीआइ में संभव होगा मूवमेंट डिसआर्डर का इलाज 
 अंग को नियंत्रित करने वाली दिमागी हिस्से को किया जाएगा नियंत्रित
  पार्किंसंस, डिस्टोनिया  मूवमेंट डिसआर्डर की परेशानी  
जागरण संवाददाता। लखनऊ   
शरीर के आंगो की कार्यप्रणाली दिमाग से नियंत्रित होती है कई बार दिमाग के साख हिस्से में परेशानी होने पर उससे नियंत्रित होना वाले अंग में गति कम या अधिक हो जाती है जिसे डाक्टरी भाषा में मूवमेंट डिसआर्डर कहते है। इन परेशानियों को कम करने के लिए दवाएं दी जाती है लेकिन अब दिमाग के उस अंग को क्रियाशील कर काफी हद तक परेशानी लंबे समय तक के लिए कम की जा सकती है।  संजय गाधी पीजीआइ का न्यूरो सर्जरी विभाग इंटरवेंसन तकनीक से दिमाग के हिस्से की खराबी को ठीक कर परेशानी कम करेगा। विभाग ने शनिवार को इंटरवेंशन फार मूवमेंट डिसआर्डर पर सीएमई का आयोजन किया गया । न्यूरो सर्जन प्रो.संजय विहारी, प्रो. पवन वर्मा, प्रो. वेद प्रकाश, प्रो. कुंतल दास के मुताबिक  शरीर का कोई अंग पहले से अधिक तेज चलेहिलनेकांपने या फड़कने लगा है या फिर अचानक टेढ़ा या शिथिल होने लगता है तो यह मूवमेंट डिसआर्डर है। विशेषज्ञों का कहना है पार्किंसंस, डिस्टोनिया जैसी बीमारी आम मूवमेंट डिसआर्डर है।
ब्रेन स्टिमुलेशन है कारगर
 ब्रेन स्टिमुलेशन से एपीलेप्सी व मूवमेंट डिसआर्डर यानी पार्किसंस जैसी बीमारी के इलाज में किया जा सकता है। इस तकनीक में डेप्थ इलेक्ट्रोड रिकार्डिग सिस्टम व इलेक्ट्रोकार्टिकोग्राफी जैसे आधुनिक उपकरणों से युक्त न्यूरोनेविगेशन के जरिये मस्तिष्क की सामान्य संरचना को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए इलेक्ट्रोड (डिवाइस) को मस्तिष्क में प्रत्यारोपित किया जाता है।  न्यूरोसर्जन व टेक्नीशियन तालमेल के साथ मरीज के ब्रेन की सर्जरी करते हैं। इसमें आयु वर्ग के हिसाब से मरीज में डिवाइस लगाई जाती है।
यह तो लें सलाह 
बात करते हुए आंख या मुंह का टेढ़ा होनाकाम करते हुए हाथ पैर या गर्दन का टेढ़ा होनाबिना वजह अंग हिलते रहनाकिसी अंग का अचानक शिथिल हो जानातेजी खत्म हो जानास्वयं करवट न ले पानाउठने बैठनेचलने में परेशानी होना। 


इंडो सर्जरी विभाग का मना स्थापना दिवस समारोह 

इंडो सर्जरी विभाग का 30 स्थापना दिवस समारोह शनिवार को मनाया गया जिसमें विभाग के प्रगति के बारे में जनाकारी दी गयी। विभाग के प्रमुख प्रो.एसके मिश्रा, सीएमएस और सर्जन प्रो. अमित अग्रवाल, प्रो. ज्ञान चंद ने बताया कि हम लोगों ने थायरायड के आलावा शरीर के अन्य ग्रंथियों की सर्जरी स्थापित करने के साथ इसके प्रसार के लिए लगातार वर्कशाप का आयोजन कर रहे है। इसके अलावा स्तन कैंसर इलाज और सर्जरी की सभी तकनीक स्थापित किए

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