रविवार, 29 सितंबर 2019

पीजीआइ काफी पहले हार्ट फेल्योर को भांप कर बचा लेगा दिल






पीजीआइ काफी पहले हार्ट फेल्योर को भांप कर बचा लेगा दिल
शुरू की नई कंबीनेशन थिरेपी जिसमें शामिल किया आर्नी और  एसजीएलटी -2
कुमार संजय। लखनऊ
अब संजय गांधी पीजीआइ लाइलाज  हार्ट फेल्योर को काफी पहले भांप कर दिल को फेल होने से बचाएगा इसके लिए नई थिरेपी शुरू की है जिसमें कंबीनेशन में खास दवाएं दी जाती है।  हार्ट फेल्योर की स्थित को रोकने के लिए नई दवा के जरिए इलाज शुरू कर दिया है। थिरेपी से  शुरूआती दौर के परिणाम काफी अच्छे मिले हैं। संस्थान के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो.सत्येंद्र तिवारी कहते है कि यह नई दवाएं दिल की मांसपेशियो के सेलेुलर लेवल पर क्रियाशील होकर दिल की मासपेशियों को मजबूत करती है। अर्नी ( एंजियोटेंसिन रिपसेप्टर ब्लाकर नेपरीलाइसिन इनहैबिटर) और एसजीएलटी -2 (सोडियम ग्लूकोज को-ट्रांसपोर्ट -2) नए रसायन इन मरीजों के लिए अचूक साबित हो रहा है। हार्ट फेल्योर की स्थित को भांप कर यह थिरेपी शुरू की तो देखा कि शुरू करने के महीने भर के अंदर दिल की पंपिग में काफी सुधार दिखा अब तक हार्ट फोल्योर के मामले में कोई खास इलाज नहीं था। हार्ट फेल्योर की स्थिति में हार्ट ट्रांसप्लांट ही आखिरी इलाज था जो सबके लिए संभव नहीं था लेकिन अब इस स्थित से बचाना संभव हो गया है। हमारे पास हार्ट की परेशानी के साथ आने वाले 10 से 15 फीसदी में हार्ट फेल्योर की स्थित रहती है जिन्हें इससे बचाया जा सकता है।   

दिल की मांसपेशी की मोटाई से लगता है पता
प्रो.तिवारी के मुताबिक हार्ट फोल्योर की स्थित का पता करने के लिए इको कार्डियोग्राफी करते है जिसमें दिल की मासपेशियों की मोटाई कम हो रही है तो हार्ट फोल्योर की आशंका रहती है। इसके आलावा लेफ्ट वेंट्रिकल और आर्टियल  का फंक्शन और वाल्यूम देखते है। देखा कि नई थिरेपी से दिल की मांसपेशियो की मोटाई बढी और मरीज में परेशानी कम हुई।
क्या है हार्ट फेल्योर

 हार्ट फेल्योर की स्थित में दिल मांसपेशियां कमजोर हो जाती है जिससे मांसपेशियों का संकुचन नहीं होता ।  पंपिंग शक्ति कम हो जाती है रक्त संचार कम हो जाता है।    
25 फीसदी को ही मिल पता है इलाज
प्रो.तिवारी कहते है कि हार्ट फेल्योर के मामले में अब 40 से कम आयु वर्ग के लोगों में देखने को मिल रही है। सही समय पर बीमारी का पता न लगने के कारण देश में केवल 25 फीसदी लोगों को ही समय पर इलाज मिल पा रहा है। हार्ट फेल्योर के 75 फीसदी लोगों  में बीमारी का पता तब लगता है जब कुछ करना संभव नहीं होता है। उच्च रक्त चाप, डायबटीज और मोटापा हार्ट फेल्योर के खतरे को बढाता है।  कम उम्र में हार्ट फोल्योर का बडा कारण साबित हो रहा है।  
यह तो तुरंत लें सलाह
-शरीर, पैर में सूजन
- दस कदम चलने पर ही सांस फूलने की परेशानी
-अधिक नींद आने की परेशानी  

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