मंगलवार, 17 सितंबर 2019

‘सुप्रीम कोर्ट की भी नहीं सुन रहे चिकित्सा संस्थान’---निजि अस्पताल नर्सेज को दें सरकारी के समान वेतन लेकिन खुद पर नहीं अमल


निजि अस्पताल नर्सेज को दें सरकारी के समान वेतन लेकिन खुद पर नहीं अमल 

आउट सोर्स नर्सेज वेतन  में सुप्रिम कोर्ट के फैसले का नहीं हो रहा है पालन
  
एआईजीएनएफ ने कहा बीच में ठेकेदार से बढ़ रहा है बजट

जागरण संवाददाता। लखनऊ

आल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज  फडरेशन(एआईजीएनएफ) ने भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से संजय गांधी पीजीआई, केजी मेडिकल विवि , आरएमएल सहित अन्य देश और प्रदेश के संस्थानों आउट सोर्स नर्सेज के वेतन के मामले में  सुप्रिम कोर्ट के फैसले के उल्ंघन का आरोप लहाते हुए कहा कि बीच में ठेकेदार होने से वेतन का बजट और बढ जाता है। फडरेशन की सदस्य एवं नर्सिग एसोसिएशन एसजीपीजीआइ की अध्यक्ष सीमा शुक्ला के मुताबिक फडरेशन की सचिव जीके खुराना के साथ  संयुक्त सचिव नर्सिग को ज्ञापन देकर मांग की है कि इन संस्थानों में नर्सेज को आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है। इस पर रोक लगाते हुए सुप्रिम कोर्ट के फैसले के अनुसार समान वेतन के साथ अवकाश, चिकित्सा सुविधा, आवास सहित अन्य सुविधाएं दी जाएं। सीमा शुक्ला ने कहा कि नर्सिग सेवा अति आवश्यक सेवा में आता है जो 24 घंटे सातो दिन चलता है । इनके ऊपर ही मरीज का पूरा इलाज निर्भर करता है। फाइनेंनसियल स्ट्रेन के कारण मेंटल स्ट्रेन हो रहा है जिससे इलाज की गुणवत्ता प्रभावित होने की आशका रहती है। कहा कि इन संस्थानों में इन हैंड केवल 16 हजार मिलता है। सुप्रिम कोर्ट के अनुसार भारत सरकार ने दौ सौ से अधिक बेड के निजि अस्पतालों को सरकारी नर्सेज के बराबर वेतन देने का आदेश जारी किया है लेकिन सरकार अपने ही संस्थानों में इसका पालन नहीं कर रही है। फडरेशन ने तुरंत आउट सोर्सिग बंद कर इन पदों पर नियमित तैनाती की मांग की है। जांब सिक्योरटी के साथ परमानेट नर्सेज के  मूल वेतन के बराबर वेतन के साथ सुविधा देने की मांग की है।      

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निदेशक टाल रहे है कि रूटीन काम
एनएसए की अध्यक्ष सीमा शुक्ला ने कहा कि संस्थान के निदेशक कहते है कि पावर सीज हो गया है लेकिन इस तरह का कोई पत्र नहीं आया है। पूर्व निदेशक प्रो. आरके शर्मा के लिए 2014 में पावर खत्म होने का आदेश आया था जिसमें नीति गत फैसला जैसे चयन, प्रमोशन पर रोका गय़ा फिर भी विशेष मामले में राज्यपाल की अनुमति के बाद कोई भी फैसला लेने का अधिकार था। सीमा शुक्ला ने कहा कि निदेशक प्रो.राकेश कपूर पावर सीज होने की बात कह कर एमएसीपीसीएस और कैंडर पुर्नगठन तक नहीं कर रहे हैं। 

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